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रिकैप 2022। भारत-चीन रिलेशन से लेकर अगले साल की भविष्यवाणी तक, पढ़ें प्रभासाक्षी के टॉप एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक तरफ जहां भारत-चीन की जबरदस्ती के बीच तवांग में झड़पें देखने को मिलीं। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसले देखने को मिलते हैं। इसके अलावा भी बहुत से विषयों को लेकर विशेष रूप से चर्चा का माहौल गर्म हो रहा है। ऐसे में प्रभासाक्षी ने अपनी विशेष घटना में विशेष कार्य के साथ इन सभी विषयों पर बातचीत की।

वर्ष 2022 में, राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सारे दृष्टिकोण-पुथल देखने को मिला। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक तरफ जहां भारत-चीन की जबरदस्ती के बीच तवांग में झड़पें देखने को मिलीं। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसले देखने को मिलते हैं। इसके अलावा भी बहुत से विषयों को लेकर विशेष रूप से चर्चा का माहौल गर्म हो रहा है। ऐसे में प्रभासाक्षी ने अपनी विशेष घटना में विशेष कार्य के साथ इन सभी विषयों पर बातचीत की। प्रभासाक्षी के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें।

प्रभासाक्षी एक्सक्लूसिव: 1962 नहीं यह 2022 है, यह कहना तो आसान है लेकिन हमारी तैयारी क्या है?

चीन को लेकर हम यह तो कह रहे हैं कि यह 1962 नहीं 2022 है लेकिन जनता यह भी जानना चाहती है कि हमारी तैयारियां क्या हैं? इस संबंध में जब प्रभासाक्षी ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि हम सिर्फ मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत नहीं हैं बल्कि हमारी युद्ध क्षमता भी दी गई है और सेना को मिलने वाली सुविधा में भी बनी है। उन्होंने कहा कि जवाब देने की हमारी तैयारी हमेशा उच्च स्तर की होती है। तवांग में जो कुछ हुआ वह हमें पहले ही समझ गया था इसलिए तैयारी पूरी थी इसलिए हमारे पचास और उनके 300 सैनिक होते हुए भी हम पर भारी पड़े।

टू फिंगर टेस्ट क्या है | समझाया वरिष्ठ अधिवक्ता | टू-फिंगर टेस्ट पर बैन क्यों?

बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों की जांच के लिए होने वाले ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इसे ‘अवैज्ञानिक’ बताया है। साथ ही ये भी कहा है कि पीड़ितों का टू-फिंगर टेस्ट करना उन्हें फिर से प्रताड़ित करना है। कोर्ट ने मेडिकल की पढ़ाई से भी टू-फिंगर टेस्ट हटाने को कहा है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने ये फैसला झारखंड सरकार की याचिका पर सुना है। झारखंड हाई कोर्ट ने बलात्कार और मर्डर के फैसला शैलेंद्र कुमार राय ऊ पांडव राय को बहुत कर दिया था। झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

प्रभासाक्षी एक्सक्लूसिव: एलएसी के पास घुसपैठ का युद्धभ्यास चीन को डराने के लिए क्या कर रहा है?

आज हमारी दुनिया में एलएसी के निकट युद्धभ्यास कर रही है तो वहीं मेघालय में भारत और कजाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी प्रथा शुरू हो गई है। इसके पहले ही उत्तराखंड के औली में हमने अमेरिका के साथ युद्धभ्यास किया था जिस पर चीन ने दुखों को भी हवा दी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बढ़ती हुई जगहों के कारण ही युद्धाभ्यास की संख्या बढ़ी है? इस संबंध में जब प्रभासाक्षी ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि यह युद्धभ्यास लगातार चलते रहते हैं ताकि हम दूसरी सेना से कुछ सीख सकें और वो हमसे सीख सकें।

कॉलेजियम सिस्टम | कॉलेजियम सिस्टम क्या है, भारतीय न्यायपालिका पर लग रहे हैं गंभीर आरोप

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। जहां भारतीय संविधान को ही सर्वोच्च माना जाता है। संविधान किसी भी देश का प्राथमिक कानून होता है। संविधान की शक्तियाँ उसे ही निर्धारित करती हैं। भारतीय राजव्यवस्था को किस तरह से फैलाना इसका संपूर्ण लेख-जोखा संविधान में है। देश की व्यवस्था बिना निरंकुश सीमाओं के साथ चली जाती है इसके लिए संविधान में शासन व्यवस्था को तीन घटकों में समेटा जाता है। इसके तीन भाग विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका हैं। ये तीनों काम अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हैं। हर कोई राजव्यवस्था को अखंडता से चलने के लिए, और जनता के हित में काम करने के लिए कर्तव्यनिष्ठ हैं।

प्रभासाक्षी एक्सक्लूसिव: सरहद पर क्या करना चाहती है यह सेना? सदन में चर्चा जरूरी है या हजारों पर दुश्मन का इलाज?

सरहद पर जो कुछ भी हुआ उस पर संसद में चर्चा ज्यादा जरूरी है या फिर सरहद पर दुश्मन का इलाज करना ज्यादा जरूरी है? इस संबंध में जब प्रभासाक्षी ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे यह समझ नहीं आता कि जब कुछ हो जाता है तभी उस पर चर्चा क्यों नहीं। चीन से खतरे की आहट देखते ही क्यों हर सत्र में पहले ही चर्चा नहीं होती? उन्होंने कहा कि सरहद पर सेना तैयार कर सकती है कि कब और कैसे जवाब दे।

जागो नागरिक जागू | गर्भपात को लेकर क्या हैं महिलाओं के अधिकार, कानूनी विशेषज्ञ से समझें

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ का बंधन समापन (एमटीपी) अधिनियम के तहत शादी या अविवाहित सभी महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक सुरक्षित व कानूनी रूप से गर्भपात का दावा करने का अधिकार देते हुए कहा था कि उनका शोषण या न होने के आधार पर कोई भी विभाजन संवैधानिक रूप से सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आसान भाषा में समझने की कोशिश होगी और यह भी जानेगा कि इससे महिलाओं के जीवन में क्या बदलाव आ सकते हैं और उन्हें किस तरह के अधिकार मिले हैं।

प्रभासाक्षी एक्सक्लूसिव: सीमाओं पर नए बड़े अफसरों को दिखाती हैं सरकारेः अनोखा चतुर्वेदी

राज्यसभा सांसद और ठाकरे के गुट वाले बीजेपी के नेता सहज चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार संसद में चीन का नाम क्यों नहीं लेना चाहती। प्रभासाक्षी से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि चीन को लेकर सरकार चुप क्यों है और क्यों संबंधित जानकारी से बच रही है। उन्होंने कहा कि यदि चीन सरकार के मुद्दों पर सारी बातें सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं तो चर्चा के दौरान संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण बंद कर दें, या सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी वस्तु स्थिति की जानकारी दे, या हमें सीमाओं पर ले जाकर वहां किए गए अधिनियमों को दिखाये।

शौर्य पथ: ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी से समझ क्यों गलवान के बाद अब तवांग के पीछे पड़ा चीन

भारतीय सेना के जज्बे को सलाम करने और उसकी वीरता भरी कहानियां आप तक पहुंचें, सुरक्षा-सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे आपको स्पष्टीकरण और सामरिक महत्व के गंभीर विषयों से आपको सावधान रहने के लिए आज से शुरू किया गया विशेष कार्यक्रम शौर्य पथ। प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के इस खास साप्ताहिक कार्यक्रम में हमारे साथ विशेष अतिथि के रूप में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी उपस्थित रहेंगे।

जन गण मन: समान नागरिक संहिता और समान शिक्षा किसी धर्म के विरोध में नहीं बल्कि देश हित में है जानिये कुछ तथ्य और तर्क

देश में समानता नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून लाया गया है, जिसके बीच सातवीं लोकसभा में भाजपा सांसद सूर्य किशन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने के प्रावधान को एक गैर-सरकारी रोक दिया तो दूसरी ओर राज्यसभा में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने देश समान नागरिक संहिता 2020 में पेश किया गया। यह दोनों ही समय की मांगें हैं, लेकिन अभी यह गैर-सरकारी जिम्मेदारियों के वर्ग में पेश किए गए हैं, इसलिए इसका अधिक महत्व नहीं है।

ज्योतिषीय भविष्यवाणियां 2023: दुनिया में किस हक का सामना? ज्योतिष शास्त्र शास्त्रों का अनुमान

वर्तमान समय में भी ज्योतिष शास्त्र का अत्यधिक महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से भी देश-दुनिया में क्या होता है, इसका मूल्यांकन किया जा सकता है। प्रभासाक्षी ने भी अपने विशेष कार्यक्रम समय चक्र में जाने-माने एस्ट्रोलॉजर रोहिताश्व त्रिवेदी को इस बार आमंत्रित किया। हमने अपनी घटना में रोहिताश्व त्रिवेदी से यह जानने की कोशिश की कि असली 2023 दुनिया के लिए कैसा रहने वाला है? हमने भारत को लेकर भी रोहिताश्व त्रिवेदी से कुछ प्रश्न किए जिसके जवाब में उन्होंने ज्योतिष शास्त्र का अनुकरण किया।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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