
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | पितृ पक्ष अमावस्या, जो इस वर्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक मनाई जा रही है, सनातन परंपरा का एक विशेष धार्मिक काल है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल तर्पण और तिलांजलि की विधि नदियों व तालाबों में सम्पन्न करते हैं।
दुर्भाग्यवश, इस वर्ष महादेव घाट और एनिकट घाट सहित कई धार्मिक स्थलों की सफाई की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। जहां श्रद्धालुओं को पवित्र माहौल मिलना चाहिए, वहीं गंदगी और अव्यवस्था ने श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँचाई है। यह लापरवाही नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।
छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के पूर्व सदस्य मनोज सिंह ठाकुर ने गहरी चिंता जताते हुए कहा कि—
“पिछले वर्षों में पितृ पक्ष के दौरान घाटों की सफाई और व्यवस्था में गंभीरता दिखाई जाती थी, परंतु इस बार नगर निगम की उदासीनता साफ दिख रही है। कई बार अधिकारियों से निवेदन करने के बाद भी कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। यह स्थिति बेहद खेदजनक है।”
उन्होंने आगे कहा कि—
“वर्तमान महापौर की निष्क्रियता के कारण धार्मिक स्थलों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जबकि पूर्ववर्ती महापौरों के समय श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए घाटों की सफाई प्राथमिकता में रखी जाती थी।”
मांग:
हम नगर निगम और प्रशासन से आग्रह करते हैं कि—
पितृ पक्ष के पावन अवसर पर महादेव घाट, एनिकट घाट और अन्य नदी-तालाबों की तत्काल सफाई कराई जाए।
श्रद्धालुओं को तर्पण के समय किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए आवश्यक संसाधन और व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
यह केवल आस्था का प्रश्न नहीं बल्कि नगर की स्वच्छता और प्रशासनिक संवेदनशीलता का भी प्रतीक है।
– मनोज सिंह ठाकुर
पूर्व सदस्य, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल
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