
UNITED NEWS OF ASIA. बस्तर । दशकों से माओवादी हिंसा और भय के साए में जी रहे बस्तर के 29 गांव इस बार आजादी का पर्व पहली बार मनाने जा रहे हैं। बीते एक साल में सुरक्षाबलों ने इन इलाकों में माओवादियों को खदेड़ते हुए 29 नए पुलिस कैंप स्थापित किए, जिससे माओवादी बैकफुट पर चले गए हैं।
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि 15 अगस्त 2024 के बाद से सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों के दक्षिण बस्तर, अबूझमाड़, रायगुडेम, पुजारी कांकेर, नेलांगुर, कच्चापाल, कुतुल सहित कई नक्सल प्रभावित इलाकों में नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए। इन कैंपों के आसपास के गांवों में इस वर्ष पहली बार स्वतंत्रता दिवस का समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा।
पहले काला झंडा, अब तिरंगा
पहले नक्सली गांव वालों को बरगलाकर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर काला झंडा लगाने के लिए मजबूर करते थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। प्रशासन की तैयारियों और सुरक्षा बलों की मौजूदगी से ग्रामीणों में खासकर युवाओं में तिरंगा फहराने को लेकर जबरदस्त उत्साह है।
पुख्ता सुरक्षा और विकास की राह
15 अगस्त को लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। सीमावर्ती और नक्सल प्रभावित इलाकों में सघन सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस कैंपों से विकास कार्यों की रफ्तार भी बढ़ी है, जिससे गांव-गांव तक सरकारी योजनाएं और बुनियादी सुविधाएं पहुंच रही हैं।
नक्सली बैकफुट पर
लगातार अभियानों में बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। शीर्ष नेतृत्व के खत्म होने से नक्सली विचारधारा की कमर टूट चुकी है और जनता भयमुक्त माहौल में आजादी का पर्व मना रही है।
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