
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर । छत्तीसगढ़ को हरित राज्य बनाने की दिशा में गाँवों को केंद्र में रखकर एक नई पहल की शुरुआत हो गई है। राजधानी रायपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान में आज ‘भारत ग्रामीण संवाद–2025’ का आयोजन हुआ, जिसमें ग्रामीण नेतृत्व से हरित अर्थव्यवस्था को साकार करने की रणनीति पर व्यापक चर्चा हुई।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि जैविक खेती, सौर ऊर्जा और स्थानीय रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देकर प्रदेश को हरित दिशा में अग्रसर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हरित विकास की नींव गाँवों से ही रखी जा सकती है।”
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ वन विभाग और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया संस्था के बीच हरित बदलाव में सहयोग हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए। कार्यक्रम में परंपरागत खेती, वन संरक्षण, हरित पर्यटन, स्वच्छता और सौर ऊर्जा आधारित ग्राम प्रबंधन जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने विचार रखे।
महिला नेतृत्व और पंचायतों की भूमिका पर बल
पंचायती राज विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतें हरित बदलाव की धुरी बनेंगी और महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका सौंपी जाएगी। वहीं वन विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा ने राज्य की प्राकृतिक समृद्धि और जनभागीदारी को हरित विकास का मूल आधार बताया।
हरित मूल्यांकन के होंगे नए मानक
पंचायत सचिव भीम सिंह ने बताया कि अब पंचायतों का मूल्यांकन जल संरक्षण, स्वच्छता और हरित मानकों के आधार पर किया जाएगा। सुशासन अभिसरण विभाग के सचिव राहुल भगत ने कहा, “हरित अर्थव्यवस्था को योजनाओं तक सीमित न रखकर, समुदाय को उसका मुख्य भागीदार बनाया जाना चाहिए।”
कार्यक्रम में जल प्रबंधन, पारंपरिक बीज, कचरा निपटान, घरेलू उद्योगों के पुनरुद्धार और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने जैसे ग्रामीण स्तर के समाधान भी सामने आए।
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