छत्तीसगढ़

दुर्ग नन केस में नया मोड़: NIA कोर्ट से मिली जमानत

पीड़िता बोली- "ननों ने कुछ गलत नहीं किया"

UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, दुर्ग | छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित दुर्ग नन गिरफ्तारी केस में शनिवार को एक बड़ा मोड़ आया, जब बिलासपुर स्थित NIA विशेष कोर्ट ने दोनों गिरफ्तार कैथोलिक ननों – प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस – को जमानत दे दी। इससे पहले दुर्ग कोर्ट ने ननों की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि मामला गंभीर है और जनजातीय युवतियों की कथित तस्करी व जबरन धर्मांतरण का संदेह प्रबल है।

25 जुलाई: स्टेशन पर हंगामा और गिरफ्तारी

दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने तीन आदिवासी किशोरियों, एक युवक और दो ननों को घेर लिया। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि ये लोग युवतियों को जबरन ईसाई धर्म अपनाने के लिए आगरा ले जा रहे हैं। स्टेशन पर काफी हंगामा हुआ। बजरंग दल की शिकायत पर GRP ने ननों को BNS की धारा 143 (मानव तस्करी) और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

30 जुलाई: दुर्ग कोर्ट से जमानत खारिज

ननों की जमानत याचिका जब दुर्ग जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश हुई, तो न्यायालय ने पाँच ठोस आधारों पर इसे खारिज कर दिया:

  • मामला NIA एक्ट के तहत आ सकता है, अतः अधिकार क्षेत्र सीमित।

  • जनजातीय युवतियों की तस्करी का पहलू शामिल है।

  • स्थानीय प्रशासन की अनुमति के बिना यात्रा कराना संदिग्ध।

  • घटना के बाद सामाजिक तनाव और धार्मिक उन्माद की स्थिति बनी।

  • NIA जांच की संभावना, इसलिए संवेदनशील मामला।

2 अगस्त: NIA कोर्ट से जमानत, पुलिस सबूतों में रही पीछे

NIA कोर्ट के न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी ने पाया कि प्रारंभिक जांच में पुलिस कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाई। अदालत ने माना कि मानव तस्करी जैसे गंभीर आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई है, इसलिए जमानत दी जा सकती है।

पीड़िता का पलट बयान: “नन निर्दोष हैं”

इस केस की सबसे बड़ी कड़ी तब टूटी जब 1 अगस्त को नारायणपुर की एक पीड़िता कमलेश्वरी ने मीडिया में खुलकर बयान दिया:

हम अपनी मर्जी से जा रहे थे। GRP ने हमसे मारपीट की और दबाव में बयान लिया गया। ननों ने कोई गलत व्यवहार नहीं किया। हमारा परिवार वर्षों से ईसाई धर्म में है। हमें डराया गया और जबरन कुछ कहलवाया गया।”

संसद में गूंजा मामला, विपक्ष ने सरकार को घेरा

  • राज्यसभा में डेरेक ओ’ब्रायन, बिनॉय विश्वम समेत कई सांसदों ने इसे ईसाई समुदाय के प्रति टार्गेटेड कार्रवाई बताया।

  • राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा – “यह आस्था पर हमला है, भीड़तंत्र का विस्तार हो रहा है।”

  • प्रियंका गांधी ने कहा – “बिना किसी पुख्ता आधार के दो ननों को अपमानित किया गया, ये संविधान और मानवीय गरिमा का हनन है।”

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल पहुंचा जेल, सीएम से भी की मुलाकात

29 जुलाई को UDF के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल केरल से दुर्ग जेल पहुंचा और ननों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भी चर्चा की और कहा कि यह धार्मिक द्वेष से प्रेरित कार्रवाई प्रतीत होती है।

छत्तीसगढ़ और केरल समेत देशभर में विरोध

  • कोच्चि, एर्नाकुलम, अंगामाली, तथा दुर्ग, रायपुर, कोरबा, जगदलपुर में कैथोलिक समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया।

  • ननों, बिशप्स और बड़ी संख्या में महिलाओं ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया।

क्या है BNS की धारा 143?

भारत की नई दंड संहिता (BNS) के तहत धारा 143 मानव तस्करी से जुड़ी है। यह गैर-जमानती अपराध है, विशेषकर जब पीड़ित महिला या नाबालिग हो। दोष सिद्ध होने पर 10 वर्ष तक की सजा या आजीवन कारावास और भारी जुर्माना संभव है।

अब आगे क्या?

  • अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि क्या NIA इस केस को औपचारिक रूप से टेकओवर करती है

  • साथ ही, GRP और स्थानीय पुलिस की निष्पक्षता और जांच की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

  • राजनीतिक तापमान इस प्रकरण को लेकर लगातार बढ़ रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ में आने वाले विधानसभा उपचुनावों में यह मुद्दा केंद्र में रह सकता है।

 


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