
UNITED NEWS OF ASIA. हितेश पाण्डेय, रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी (CSPDCL) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ पांच कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक कुछ घंटे पहले एक साथ दो-दो प्रमोशन दे दिए गए। यह फैसला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि इससे कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों और सेवानिवृत्त हो चुके स्टाफ में भारी नाराजगी भी व्याप्त है।
क्या है मामला?
कंपनी प्रबंधन ने गुरुवार को पांच Office Assistant Grade-I कर्मचारियों को पहले Section Officer (SO) के पद पर पदोन्नत किया। इसके कुछ ही घंटों के भीतर इन सभी को एक और प्रमोशन देते हुए Accounts Officer (AO) बना दिया गया। लेकिन जिस समय ये प्रमोशन आदेश कर्मचारियों तक पहुंचे, उससे पहले ही उनकी विदाई की तैयारी हो चुकी थी, क्योंकि उसी दिन उनकी सेवा का अंतिम दिन था।
सेवानिवृत्ति के पहले दो-दो प्रमोशन पाने वाले कर्मचारी:
नाम | पूर्व पद | पहला प्रमोशन | दूसरा प्रमोशन |
---|---|---|---|
खेमू राम देवांगन | Office Assistant Gr-I | Section Officer | Accounts Officer |
के. एस. मिनी | Office Assistant Gr-I | Section Officer | Accounts Officer |
टी. राजेश राव | Office Assistant Gr-I | Section Officer | Accounts Officer |
सुरेश कुमार सिन्हा | Office Assistant Gr-I | Section Officer | Accounts Officer |
भरत लाल पटेल | Office Assistant Gr-I | Section Officer | Accounts Officer |
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कंपनी के कर्मचारी गंभीर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि कई कर्मचारी वर्षों से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बिना किसी कार्यकाल या पदस्थापन लाभ के सेवानिवृत्ति से ठीक पहले प्रमोशन देने का औचित्य ही क्या है?
इसके पीछे प्रमोशन में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद को भी एक कारण माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण को असंवैधानिक ठहराते हुए डिमोशन का आदेश दिया था, लेकिन कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि इस आदेश का अब तक पालन नहीं हुआ है।
कर्मचारी संगठनों की तैयारी – फिर कोर्ट का रास्ता
सूत्रों के अनुसार, कई कर्मचारी नेताओं ने हाईकोर्ट के आदेश के उल्लंघन को लेकर पुनः न्यायालय का रुख करने की तैयारी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि यह मामला न केवल अनुचित प्रशासनिक निर्णय का उदाहरण है, बल्कि इससे योग्य कर्मियों के हक़ का भी हनन हुआ है।
प्रशासन पर सवाल
यह संयोग मात्र है या कोई सोची-समझी सिफारिशी योजना? इस पर अभी तक कंपनी प्रबंधन की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि प्रमोशन ऑर्डर की टाइमिंग और प्रक्रिया पर सवाल उठना लाज़मी है।
इस मामले ने छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी में आंतरिक कार्य संस्कृति और पारदर्शिता पर गहरे प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि कंपनी प्रबंधन इस पर क्या सफाई देता है और क्या कर्मचारी संगठन इसे लेकर न्यायिक लड़ाई लड़ते हैं।
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