
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा । छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को उजागर करती एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। जिला मुख्यालय से सटे घुघरी अटल आवास के पास स्थित एक सरकारी प्राथमिक शाला पिछले डेढ़ साल से बस डिपो के जर्जर भवन में संचालित हो रही है, जहां बच्चों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रहकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
यह विद्यालय, जहां कक्षा पहली से पांचवीं तक के लगभग 40 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, मूल रूप से नगर के शक्तिपारा वार्ड में स्थित है। लेकिन दो किलोमीटर की दूरी को ध्यान में रखते हुए इसे अस्थायी तौर पर घुघरी में संचालित किया जा रहा है। दुर्भाग्यवश, जिस भवन में यह स्कूल चल रहा है वह कभी का सिटी बस डिपो था, जो अब एक खंडहर और कबाड़ घर में तब्दील हो चुका है।
“स्कूल” में नहीं है शौचालय, पानी, बिजली…
बच्चों को पीने के लिए पानी तक लीकेज पाइप से रिसते पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। शौच के लिए उन्हें स्कूल छोड़कर घर वापस जाना पड़ता है। बिजली के अभाव में गर्मी से बेहाल छात्र अपनी किताबों को पंखा बनाकर हवा करते हैं। दरवाजा टूटा है, और भवन की हालत किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकती है।
सांप-बिच्छू और नशाखोरों का डर
स्कूल परिसर के चारों ओर झाड़ियाँ, पेड़-पौधे और कबाड़ फैले हैं, जिससे आए दिन सांप-बिच्छू निकलते रहते हैं। आसपास खड़ी जर्जर बसें बच्चों के खेलने का एकमात्र साधन हैं, जो किसी भी वक्त दुर्घटना का कारण बन सकती हैं। शिक्षकों ने बताया कि नशेड़ी तत्व परिसर में आकर उत्पात मचाते हैं, और मना करने पर विवाद करते हैं।
“एक ही कमरे में सभी कक्षाओं की पढ़ाई होती है। कोई शौचालय नहीं, खेलने की जगह नहीं, सुरक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं। अधिकारियों को कई बार बताया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
— विद्यालय शिक्षक
जिम्मेदारों की नींद खुली, पर समाधान दूर
मामले को लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी एफ.आर. वर्मा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि—
“आपके माध्यम से मुझे जानकारी मिली है। यह विद्यालय वैकल्पिक व्यवस्था के तहत संचालित हो रहा है। हम जल्द ही एक नए भवन के लिए प्रस्ताव शासन को भेजेंगे।”
हालांकि डीईओ की प्रतिक्रिया आश्वस्त करती है, लेकिन प्रस्ताव तैयार होने से लेकर स्वीकृति और निर्माण तक का सफर अभी लंबा है। तब तक इन नौनिहालों को इसी खंडहर में शिक्षा प्राप्त करनी होगी, जान जोखिम में डालकर।
सवाल बना हुआ है
क्या “स्कूल चलें हम” जैसे नारे सिर्फ कागजों में रह जाएंगे? क्या इन बच्चों को कभी सम्मानजनक, सुरक्षित और समुचित वातावरण में शिक्षा मिल पाएगी?
यह सिर्फ कबीरधाम की नहीं, बल्कि उस तंत्र की तस्वीर है जो शिक्षा के अधिकार कानून को बिल्डिंग की सुविधा से नहीं जोड़ पाता।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया पर खबरों का विश्लेषण लगातार जारी है..
आपके पास किसी खबर पर जानकारी या शिकायत है ?
संपर्क करें unanewsofficial@gmail.com | 8839439946, 9244604787
व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 9244604787
निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता को समर्पित
आपका अपना नेशनल न्यूज चैनल UNA News
Now Available on :