छत्तीसगढ़सुकमा

कहानी पोटकपल्ली की: जहां विकास सिर्फ हेलीकॉप्टर से आया और पैदल लौट गया…

UNITED NEWS OF ASIA. सुकमा । “साहब, हेलीकॉप्टर से आए थे, बड़े-बड़े अफसर थे, कैमरे थे, उम्मीदें थीं… पर अब कोई नहीं आता। बच्चे अब भी जर्जर स्कूल में पढ़ते हैं, और शिक्षक का इंतज़ार करते हैं…” — ये शब्द हैं सुकमा के नक्सल प्रभावित गांव पोटकपल्ली के एक बुजुर्ग ग्रामीण के, जो दो साल पहले की उस ऐतिहासिक तारीख को आज भी नहीं भूले हैं, जब देश के गृहमंत्री अमित शाह खुद उनके गांव पहुंचे थे।

वादे उड़नखटोले में आए, लेकिन बदलाव पैदल ही लौट गया

बस्तर के सुदूर अंचल में बसे इस गांव की कहानी, उन दर्जनों गांवों की कहानी है, जो विकास की दौड़ में अब भी कोसों पीछे छूटे हुए हैं।
जब 2023 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पोटकपल्ली का दौरा किया, तब गांववालों ने सोचा कि अब बदलाव जरूर आएगा। पक्के स्कूल, समय पर शिक्षक, सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं, ये सब हकीकत बनेंगे। लेकिन आज, दो साल बीत चुके हैं और…

✅ स्कूल है — लेकिन जर्जर
✅ छात्र हैं — लेकिन शिक्षक नहीं
✅ सड़क है — लेकिन अधूरी और दलदल से भरी
✅ सपने हैं — लेकिन अधूरे

स्कूल की हकीकत — छत टपक रही, शिक्षक लापता

जब हमारी टीम ने पोटकपल्ली प्राथमिक शाला का दौरा किया, तो दृश्य बेहद दर्दनाक था।
छत से पानी टपक रहा था, फर्श गीला और फिसलन भरा था। कुछ बच्चे बाहर खेलते दिखे, लेकिन जैसे ही कैमरा देखा, तुरंत भीतर जाकर ऐसे बैठ गए जैसे उन्हें सिखाया गया हो कि “कोई आए तो पढ़ाई करते दिखना।

बच्चों से बातचीत में पता चला कि उन्हें पढ़ाना वाला कोई नहीं है। फिर भी बच्चों ने डरते-सहमते ‘अनार’, ‘A-B-C-D’, और गिनती सुनाई। उनकी मासूम मुस्कानें किसी उम्मीद की तरह चमकी, लेकिन आंखों में टीचर का इंतजार भी साफ झलकता रहा।

शिक्षक सुकमा में, आदेश मौखिक, जवाबदेही लापता

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्रीनिवास राव ने बताया कि

“यहां पदस्थ शिक्षक को सुकमा भेजा गया है, और पास के गांव सलातोंग के शिक्षक को मौखिक रूप से भेजने कहा गया था। वो शिक्षक पिछले दो दिनों से प्रशिक्षण में थे और आज स्कूल आना था, लेकिन क्यों नहीं आए, इसकी जानकारी नहीं है।”

ऐसे में सवाल ये उठता है —
क्या शिक्षा विभाग का संचालन अब सिर्फ मौखिक आदेशों पर निर्भर रह गया है?

सड़क नहीं, दलदल है — बस्तर में अब भी यही हालात

मिनपा से पोटकपल्ली तक की सड़क मानसून में कीचड़ में तब्दील हो जाती है। छोटे वाहन क्या, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।
एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती, गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए घंटों पैदल चलती हैं, और बच्चे स्कूल जाना छोड़ देते हैं

युवा कांग्रेस का सरकार पर हमला

इस हालत को लेकर युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव दुर्गेश राय ने सरकार को आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा:

“जब देश का गृहमंत्री किसी गांव में आता है, तो वह सिर्फ ‘दौरा’ नहीं, एक राष्ट्रीय वादा होता है।
लेकिन पोटकपल्ली के हालात ये दिखाते हैं कि सरकार ने उन वादों को कागजों में ही दफ्न कर दिया।
ये सिर्फ गांव नहीं, बच्चों के भविष्य के साथ क्रूर मज़ाक है।”

पोटकपल्ली की कहानी, बस्तर के उन अनगिनत गांवों की प्रतिनिधि कथा है, जहां उम्मीदें आती हैं, लेकिन स्थायी बदलाव नहीं।
जहां अफसर हवाई दौरे करते हैं, पर ज़मीनी हालात जस के तस रहते हैं।

सरकारों को अब दौरे नहीं, धरातल पर ठोस कार्य करने की ज़रूरत है — वरना इन मासूम चेहरों की मुस्कानें भी किसी दिन उम्मीद छोड़ देंगी।

 


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