छत्तीसगढ़राजस्थान

खालसा पब्लिक स्कूल की शिक्षिका ने सवाल पूछने पर छात्र को जड़ा थप्पड़, सुनने की क्षमता हुई खत्म – परिजनों ने BEO से की शिकायत

UNITED NEWS OF ASIA. नेमिष अग्रवाल, राजनांदगाव । एक मामूली सी कक्षा की घटना ने 13 वर्षीय छात्र सार्थक सहारे की ज़िंदगी को झकझोर कर रख दिया। डोंगरगढ़ के प्रतिष्ठित खालसा पब्लिक स्कूल में कक्षा 7वीं में अध्ययनरत सार्थक को SST की कक्षा में सवाल पूछने पर शिक्षिका द्वारा न सिर्फ फटकारा गया, बल्कि लगातार कई थप्पड़ भी मारे गए, जिनमें से एक इतने जोरदार तरीके से मारा गया कि उसकी सुनने की क्षमता चली गई

2 जुलाई की दर्दनाक घटना

यह घटना 2 जुलाई की है। छात्र के परिजनों के अनुसार, शिक्षिका प्रियंका सिंह की बात ठीक से न समझ पाने पर उसने गुस्से में आकर सार्थक को पीटना शुरू कर दिया। इस अमानवीय व्यवहार से छात्र का बायां कान बुरी तरह प्रभावित हुआ। घर लौटने पर जब उसने माँ से कहा, “मम्मी, अब ठीक से सुनाई नहीं दे रहा,” तो परिजन तत्काल घबरा गए और पहले डोंगरगढ़ अस्पताल, फिर राजनांदगांव, और अंत में रायपुर के निजी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए दौड़ पड़े। अब तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, और डॉक्टरों ने लंबा इलाज बताया है।

स्कूल प्रशासन ने दिखाई बेरुखी

परिजनों का कहना है कि घटना के बाद जब उन्होंने स्कूल प्रशासन से संपर्क किया, तो उन्होंने केवल एक शो-कॉज नोटिस जारी कर औपचारिकता निभा दी। न तो शिक्षिका को निलंबित किया गया, न ही कोई आंतरिक जांच समिति बनाई गई। शिक्षा के मंदिर में यह बेरुखी, बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।

BEO को दी गई लिखित शिकायत

घटना के बाद सार्थक के माता-पिता ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) बीरेंद्र कौर गरछा से मुलाक़ात कर लिखित शिकायत सौंपी। उन्होंने आरोपी शिक्षिका को तत्काल प्रभाव से स्कूल से हटाने और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। बीईओ ने मामले में आश्वासन जरूर दिया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

सवाल व्यवस्था से

  • क्या अब भी स्कूलों में शारीरिक दंड वैध है?

  • क्या फीस भरने के बाद बच्चों को अपमान और अपंगता मिलना नियति बन गई है?

  • क्या निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा केवल कागजों तक सीमित रह गई है?

मौन क्यों है शिक्षा विभाग?

यह मामला सिर्फ सार्थक का नहीं है, यह हर उस अभिभावक की चिंता है जो हर दिन अपने बच्चों को यह सोचकर स्कूल भेजता है कि वह सुरक्षित है।
क्या शिक्षा विभाग को तभी जागना चाहिए जब किसी बच्चे की जान जाए या भविष्य अंधकार में डूब जाए?

सार्थक को न्याय मिलना केवल एक छात्र के लिए नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की साख बचाने के लिए आवश्यक है।

मांगें जो उठ रही हैं:

  1. आरोपी शिक्षिका को तत्काल निलंबित किया जाए

  2. मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की जाए

  3. पीड़ित छात्र का नि:शुल्क इलाज स्कूल की जिम्मेदारी हो

  4. स्कूल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज किया जाए

  5. सभी निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन लागू हो

 


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