
UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भरद्वाज, बस्तर । बारिश के मौसम में जहां आम जीवन रुक जाता है, वहीं बस्तर के घने जंगलों में सुरक्षाबलों का “ऑपरेशन मानसून” पूरी ताकत से जारी है। शनिवार को दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित नेशनल एरिया पार्क के जंगलों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। फोर्स ने मिलिट्री कंपनी के टॉप स्नाइपर और 10 लाख के इनामी नक्सली सोढ़ी कन्ना को ढेर कर दिया है।
दहशत का दूसरा नाम था सोढ़ी कन्ना
मारा गया नक्सली सोढ़ी कन्ना, जगरगुंडा थाना क्षेत्र के किस्टाराम गांव का रहने वाला था और नक्सलियों की मिलिट्री कंपनी में बतौर स्नाइपर काम कर रहा था। उसकी पहचान टॉप ग्रेड शूटर और घात लगाकर जवानों को निशाना बनाने वाले बेहद खतरनाक नक्सली के रूप में होती थी। लंबे समय से वह बस्तर के कई जिलों में सक्रिय था और उसके खिलाफ दर्जनों वारदातों में शामिल होने के प्रमाण भी थे।
सरकार ने उस पर ₹10 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। उसकी मौत से नक्सली संगठन को गहरा झटका लगा है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, वह कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रह चुका है।
संयुक्त बल की रणनीति लाई रंग
यह ऑपरेशन बस्तर के चार जिलों—बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और नारायणपुर—के संयुक्त डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) बलों द्वारा चलाया गया। लगातार बारिश और दुर्गम क्षेत्र के बावजूद जवानों ने हौसला नहीं छोड़ा और मुठभेड़ में बड़ी सफलता अर्जित की। फोर्स अभी भी पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी रखे हुए है, क्योंकि मुठभेड़ के बाद अन्य नक्सलियों के भागने की संभावना जताई गई है।
मानसून में भी नहीं थमेगा ऑपरेशन
सुरक्षा बलों ने स्पष्ट किया है कि मानसून सीजन में भी नक्सल विरोधी अभियान में कोई ढिलाई नहीं दी जाएगी। खुफिया इनपुट के आधार पर रणनीतिक ऑपरेशन जारी रहेंगे और नक्सलियों की गतिविधियों को हर मोर्चे पर कुचलने की तैयारी है।
स्थानीय निवासियों में बढ़ा भरोसा
इस सफलता के बाद क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों में भी राहत का माहौल है। लंबे समय से सोढ़ी कन्ना जैसी खूंखार नक्सली की मौजूदगी ने ग्रामीणों के दिलों में डर बैठा दिया था। अब उसकी मौत से लोगों में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास और आत्मविश्वास दोनों बढ़ा है।
“ऑपरेशन मानसून” के तहत सुरक्षाबलों को मिली यह सफलता सिर्फ एक इनामी नक्सली के मारे जाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जंगल में छिपे अन्य उग्रवादियों के लिए चेतावनी भी है कि अब कोई मौसम, कोई परिस्थिति सुरक्षाबलों को रोक नहीं सकती। बस्तर के जंगलों में शांति बहाली की दिशा में यह एक और निर्णायक कदम है।
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