छत्तीसगढ़रायपुर

शराब दुकान खोले जाने के विरोध में ग्रामीणों का प्रदर्शन, महिलाओं ने कहा – ‘बेटियाँ पढ़ेंगी या शराब से डरेंगी?’

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | ग्राम दोंदे खुर्द में खोली जा रही नवीन शराब दुकान के विरोध में आज दोंदे खुर्द, मटिया, दोंदे कला, छपोरा, सेमरिया सहित आसपास के गाँवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने रायपुर कलेक्टोरेट पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं, जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि शराब दुकान की स्थापना को तत्काल निरस्त किया जाए और उसके लिए चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए। प्रदर्शनकारियों ने “कलेक्टर होश में आओ” जैसे नारे लगाए और अंबेडकर चौक में बाबा साहेब की प्रतिमा के समक्ष धरना देकर प्रदर्शन किया। बाद में एडीएम को ज्ञापन सौंपा गया।

महिलाओं ने जताई गहरी चिंता

प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने कहा—

“सरकार ‘बेटी पढ़ाओ’ की बात करती है, पर गाँव-गाँव में शराब दुकान खोलकर बेटियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। शराब से सबसे ज़्यादा प्रभावित महिलाएं होती हैं — घर की शांति, बच्चों का भविष्य और सामाजिक माहौल सब बर्बाद होता है।”

उन्होंने बताया कि करीब 14 साल पहले भी गाँव में खोली गई शराब दुकान को भारी विरोध के चलते बंद कराना पड़ा था, और आज फिर वही संकट सामने है।

“हमारे युवा आज शिक्षा और खेल में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन शराब की लत उन्हें फिर गर्त में धकेल देगी।” – एक महिला प्रदर्शनकारी

ग्रामसभा के प्रस्ताव और चेतावनी

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ग्रामसभा ने पहले ही शराब दुकान के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है, और यदि शासन इस भावनात्मक जनविरोध को नजरअंदाज कर दुकान खोलने का प्रयास करता है, तो वे अनिश्चितकालीन धरना देंगे और एक भी शराब की बोतल दुकान तक नहीं पहुँचने देंगे।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधियों की भागीदारी

प्रदर्शन में अनेक जनप्रतिनिधि एवं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं:

  • जनपद सदस्य भगत बंजारे,

  • पूर्व जनपद अध्यक्ष उत्तरा कमल भारती,

  • जिला कांग्रेस अध्यक्ष उधोराम वर्मा,

  • जिला उपाध्यक्ष सूर्यप्रताप बंजारे,

  • महासचिव चम्पा साहू,

  • छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला,

  • सामाजिक कार्यकर्ता सूरज टंडन, कविता दास, सुमित्रा साहू, मीना छेतीजा, गीता गुप्ता,

  • तथा गाँव की दर्जनों महिलाएं और ग्रामीण।


ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि यह लड़ाई केवल शराब दुकान के खिलाफ नहीं, बल्कि गाँव की अस्मिता, महिलाओं की सुरक्षा और बच्चों के भविष्य की रक्षा की लड़ाई है। प्रशासन द्वारा अगला कदम अब इस जनभावना की परीक्षा होगी।

 


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