
UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, कोण्डागांव | सखी वन स्टॉप सेंटर कोण्डागांव एक बार फिर लापरवाही और प्रशासनिक अनदेखी के आरोपों के घेरे में आ गया है। सेंटर में सुरक्षा और देखरेख की व्यवस्थाओं पर तब सवाल खड़े हो गए जब एक नाबालिग बालिका रात में शेल्टर होम से फरार हो गई। यह घटना तब सामने आई जब पीड़ित बालिका के पिता ने नेशनल हाईवे 30 स्थित मुख्य चौराहे पर एक विरोधात्मक तख्ती लेकर बैठकर सखी केंद्र के खिलाफ सार्वजनिक आक्रोश जाहिर किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने अपनी नाबालिग बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट कोण्डागांव थाना में दर्ज कराई थी। पुलिस द्वारा लड़की को खोजते हुए 25 जून की रात रायपुर से कोण्डागांव लाया गया। चूंकि रात अधिक हो गई थी, इसलिए पुलिस ने लड़की को सखी वन स्टॉप सेंटर के शेल्टर में अस्थायी रूप से रुकवा दिया और पिता को अगले दिन दो गवाहों के साथ बालिका को लेने के लिए कहा गया। प्रेम प्रकाश उपाध्याय का आरोप है कि उन्होंने रात में ही अपनी बेटी को घर ले जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन सखी केंद्र के कर्मचारियों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि रात में हम बच्ची को नहीं सौंप सकते, वह हमारे संरक्षण में रहेगी, आप सुबह आ जाइए। किंतु जब वे अगली सुबह बेटी को लेने पहुँचे, तो उन्हें सूचित किया गया कि बालिका रात में ही सेंटर से फरार हो गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सखी केंद्र की केंद्र प्रशासक स्वयं केंद्र में रुकने के दायित्व से विमुख रहती हैं। नियमानुसार केंद्र प्रशासक को रात में सेंटर परिसर में रुकना अनिवार्य होता है, लेकिन बताया गया है कि केंद्र प्रशासक का निवास कोण्डागांव से दूर बोरगांव में होने के कारण वह रात में केंद्र में न रुककर सीधे अपने घर चली जाती हैं, जिससे रात के समय देखरेख में लापरवाही होती है।
पहले भी विवादों में रहा है सखी केंद्र
यह पहली बार नहीं है जब सखी सेंटर विवादों में आया हो। बीते दिनों केंद्र प्रशासक पर एक लाख रुपये की मांग करने तथा एक नाबालिग आवेदिका को डरा-धमकाकर आरोपी के साथ जबरन वापस भेजने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। यह मामला उस समय सुर्खियों में रहा था, जिस पर तत्कालीन कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना ने जांच के निर्देश दिए थे। साथ ही जिला न्यायालय ने भी इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए कलेक्टर को जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
डीपीओ करते है सखी केंद्र की लापरवाही की अनदेखी
इस पूरे मामले पर जब महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अवनी बिस्वाल को मो नं 9770510572 पर कॉल किया गया था, उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया फिर अन्य काल पर लगातार वेटिंग आने के बाद जब रिंग गई तो उन्होंने कॉल रिसीव करना उचित नहीं समझा और नाबालिक युवती के फरार होने से भी ज्यादा मसला उनके पास था शायद या फिर जिम्मेदारी वाले पद पर बैठने के बाद भी सखी केंद्र लापरवाही को अनदेखा करना शायद उनकी आदत बन गई है।
पिता की अपील: मेरी बेटी को जल्द तलाशा जाए
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी नाबालिग बेटी को जल्द से जल्द तलाश कर उनके सुपुर्द किया जाए। उन्होंने कहा, मैं उसका पिता हूं, जिम्मेदारी से पालन-पोषण करूंगा, लेकिन सखी केंद्र की लापरवाही ने मेरी बेटी को खतरे में डाल दिया है। यह मामला न सिर्फ सखी केंद्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि बालिकाओं की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर प्रशासनिक निगरानी की जरूरत को भी उजागर करता है।
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