
UNITED NEWS OF ASIA. श्रीदाम ढाली, पखांजुर (कांकेर)। मंगलवार शाम करीब 7:30 बजे पखांजुर के पुराना बाजार क्षेत्र में दो मोटरसाइकिलों के बीच हुई टक्कर में 5 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायलों को स्थानीय नागरिकों की मदद से तुरंत सिविल अस्पताल पखांजुर लाया गया, लेकिन वहां मौजूद किसी डॉक्टर की अनुपस्थिति ने न केवल परिजनों बल्कि पूरे क्षेत्र को हतप्रभ कर दिया।
अस्पताल में मौजूद केवल नर्सिंग स्टाफ इलाज के लिए नाकाफी साबित हुए। तीन घायलों की हालत गंभीर थी और उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार और हायर सेंटर रेफर की आवश्यकता थी। डॉक्टरों की गैरमौजूदगी में यह भी संभव नहीं हो सका। जब काफी देर तक कोई डॉक्टर नहीं आया, तो परिजन स्वयं घायलों को लेकर निजी अस्पताल की ओर रवाना हुए।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर उठा जनाक्रोश
इस गंभीर लापरवाही के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखा गया। नागरिकों ने सिविल अस्पताल की कार्यप्रणाली और डॉक्टरों की गैर-जिम्मेदाराना रवैये को लेकर तीखे सवाल उठाए। क्षेत्र में डॉक्टरों की नियमित अनुपस्थिति अब आम होती जा रही है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में जान जोखिम में पड़ रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रशासनिक सुस्ती
आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेता ऋषिकेश ने आरोप लगाया कि हादसे में उनके भांजे घायल हुए हैं। उन्होंने BMO डॉ. दिलीप सिन्हा को कई बार कॉल कर स्थिति से अवगत कराया, लेकिन रात 9:30 बजे तक कोई डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचा। ऋषिकेश ने इसे जनता के प्रति घोर असंवेदनशीलता बताया और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस नेता रूपसिंह पोटाई ने भी घटना को स्वास्थ्य सेवाओं की नाकामी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं केवल कागज़ों तक सीमित हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की अनुपलब्धता मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ है।
नगर पंचायत उपाध्यक्ष शंकर सरकार ने भी डॉक्टरों की ड्यूटी के समय अनुपस्थिति को गलत ठहराते हुए BMO से रिपोर्ट मांगने और कार्रवाई की बात कही।
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेश शांडिया ने कहा, “आपके माध्यम से घटना की जानकारी मिली है, जांच के बाद जो भी दोषी होगा, उस पर कार्यवाही की जाएगी। यदि लिखित शिकायत आती है, तो BMO को हटाने तक की सिफारिश की जा सकती है।”
BMO डॉ. दिलीप सिन्हा ने अस्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि “उस समय डॉ. मल्लिक ड्यूटी पर थे, उन्होंने ही घायलों को रेफर किया होगा। मैं उनसे पूछकर स्पष्ट करूंगा।”
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि घायलों को वास्तव में कौन डॉक्टर रेफर कर सका या नहीं।
यह घटना छत्तीसगढ़ के ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे पर एक गंभीर प्रश्नचिन्ह है। पखांजुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में डॉक्टरों की शाम होते ही अनुपस्थिति स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है। यदि समय रहते जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं जानलेवा बन सकती हैं।
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