
UNITED NEWS OF ASIA. जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नक्सली हमले की त्रासदी को समर्पित झीरम मेमोरियल आज प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गया है। लालबाग स्थित यह स्मारक, जहां 2013 के झीरम घाटी हमले में शहीद हुए नेताओं की यादों को सहेजा गया था, अब असामाजिक गतिविधियों का अड्डा बनता जा रहा है।
बदहाल हालत, टूटी बोतलें और मूर्ति के पास गंदगी
स्थानीय लोगों और कांग्रेस नेताओं की शिकायत पर जब मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे, तो शहीद महेंद्र कर्मा की प्रतिमा के पास टूटी शराब की बोतलें, सिगरेट के टुकड़े और गंदगी का ढेर मिला।
मूर्तियों के पास लगे निशान यह भी दर्शाते हैं कि किसी ने जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
राजनीतिक आरोप, कांग्रेस ने उठाए सवाल
विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने इस लापरवाही को लेकर नगर निगम और प्रशासन पर तीखा हमला बोला है।
कांग्रेस नेता जावेद खान ने कहा –
“यह शहीदों का अपमान है। हमने एक महीने पहले शिकायत की थी, लेकिन आज तक कोई सफाई या सुरक्षा नहीं दी गई।”
पुलिस जांच में जुटी, गश्त के आदेश
सीएसपी आकाश श्रीमल ने बताया कि
“सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। संदिग्ध गतिविधियों की पहचान कर ली गई है और शाम के समय सुरक्षा गश्त बढ़ा दी गई है।”
झीरम हमले की पृष्ठभूमि
झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुए नक्सली हमले में कांग्रेस के शीर्ष नेता महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल समेत कई नेता और सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
इस हमले की स्मृति में झीरम मेमोरियल बनाया गया था, जो अब राजनीतिक और जन भावनाओं का प्रतीक है।
क्या कहता है जनभावना और सवाल
क्या शहीदों की स्मृति की रक्षा केवल समारोहों तक सीमित है?
क्या प्रशासन और नगर निगम की अनदेखी से शहीदों का अपमान नहीं हो रहा?
क्या यह स्थल अब संरक्षित स्मारक घोषित कर उच्च स्तरीय निगरानी के दायरे में लाया जाएगा?
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