
UNITED NEWS OF ASIA. रायगढ़। रायगढ़ के जेलपारा और प्रगति नगर क्षेत्र में शुक्रवार को उस समय माहौल तनावपूर्ण हो गया जब नगर निगम द्वारा मरीन ड्राइव परियोजना के अंतर्गत अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। इस कार्रवाई का महिला कांग्रेस ने कड़ा विरोध करते हुए मोर्चा खोल दिया। बड़ी संख्या में मोहल्ले की महिलाएं और स्थानीय लोग मौके पर जुट गए और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में घरों को तोड़ने का विरोध करने लगे।
प्रशासन की दलील – ‘अतिक्रमण से होती है समस्या’
अवैध कब्जों के खिलाफ चल रही कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने स्पष्ट कहा कि “सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे करने वालों को शासन नोटिस जारी कर पहले ही अवसर देता है। यदि तय समय में कब्जा नहीं हटाया गया तो प्रशासन के पास कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। आम जनता की सुविधा के लिए अवैध अतिक्रमण हटाना आवश्यक है।”
स्थानीयों का आरोप – ‘बिना सूचना उजाड़ा जा रहा’
दूसरी ओर स्थानीय निवासियों का कहना है कि वर्षों से वे इन स्थानों पर रह रहे हैं, लेकिन अब अचानक मरीन ड्राइव परियोजना के नाम पर उनके घर उजाड़े जा रहे हैं। मोहल्लेवासियों का आरोप है कि उन्हें न तो समुचित सूचना दी गई और न ही पुनर्वास का कोई विकल्प सुझाया गया। बताया गया है कि यह मरीन ड्राइव नया शनि मंदिर से लेकर जेलपारा होते हुए छठ पूजा स्थल तक प्रस्तावित है, जिसकी जद में लगभग 100 से अधिक घर आ रहे हैं।
कलेक्टर बंगले का घेराव, रातभर चला विरोध
गुरुवार देर रात आक्रोशित लोगों ने कलेक्टर बंगले का घेराव किया। भीड़ को देखकर पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया और तत्काल भारी पुलिस बल तैनात कर हालात को नियंत्रण में लाया गया। मौके पर रायगढ़ एसडीएम महेश शर्मा पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर उन्हें शांत करने का प्रयास किया।
राजनीतिक गर्मी तेज, महिला कांग्रेस सड़क पर
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक मोड़ भी ले लिया है। महिला कांग्रेस की पदाधिकारियों ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा कि गरीबों को बिना विकल्प दिए बेघर किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं रोकी गई तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा।
तनाव बना हुआ, प्रशासन अलर्ट पर
जेलपारा और प्रगति नगर में फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल तैनात है। प्रशासन का दावा है कि पूरे मामले को संवेदनशीलता के साथ हैंडल किया जा रहा है, वहीं स्थानीय लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।
नजरें अब अगली कार्रवाई पर टिकी हैं
अब देखना यह है कि प्रशासन अपनी कार्रवाई को आगे कैसे बढ़ाता है और क्या स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार का राहत या पुनर्वास पैकेज दिया जाता है या नहीं। मरीन ड्राइव परियोजना का भविष्य और जनाक्रोश, दोनों अब शासन की नीति और संवेदनशीलता की अग्निपरीक्षा बन चुके हैं।
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