
UNITED NEWS OF ASIA. जगदलपुर। बस्तर क्षेत्र में इस बार मानसून के समय से पहले पहुंचने और ओलावृष्टि के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण का काम बेहद प्रभावित हुआ है। जगदलपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर के 119 लॉटों में से केवल 92 लॉटों में ही काम शुरू हो पाया है। तय लक्ष्य 2,70,600 मानक बोरा तेंदूपत्ता में से अब तक मात्र 1,17,859 बोरे ही संग्रहित हो सके हैं, जो कि सिर्फ 43.55 प्रतिशत है।
वन विभाग ने 24 अप्रैल से तेंदूपत्ता संग्रहण अभियान शुरू किया था, लेकिन असमय बारिश और ओलों ने तेंदूपत्ते की गुणवत्ता को खराब कर दिया है। पत्ते सूखने और काले पड़ने से उनकी बाजार कीमत में भारी गिरावट आ सकती है। विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि मौसमी हालात इस बार संग्रहण कार्य के लिए बड़े नुकसानदेह साबित हुए हैं।
बस्तर के आदिवासी परिवारों के लिए तेंदूपत्ता सिर्फ एक आर्थिक साधन नहीं, बल्कि जीवन निर्वाह का आधार है। हजारों संग्राहक इस मौसमी कार्य पर निर्भर हैं ताकि वे अपने परिवार का गुजारा कर सकें। इस बार मौसम की बेरुखी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
संग्रहण में कमी, घटती गुणवत्ता और भुगतान में देरी से आदिवासी परिवारों के सामने आजीविका संकट गहरा गया है। बस्तर में तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़ी चुनौतियां न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी गंभीर हैं। यह समस्या केवल तेंदूपत्ता तक सीमित नहीं, बल्कि उन हजारों परिवारों के भविष्य की लड़ाई है जो हर पत्ता तोड़ते हुए अपने सपनों को पल्लवित करने की उम्मीद करते हैं।
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