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सीधी पुलिस की ‘नरमी’ या ‘संलिप्तता’? गांजा, इंजेक्शन और नशीली टेबलेट का अवैध कारोबार पूरे जिले में फैला स्थानीय जनता ने उठाए गंभीर सवाल, पुलिस कप्तान की चुप्पी पर भी सवालिया निशान

UNITED NEWS OF ASIA. महेंद्र शुक्ला, सीधी, मध्य प्रदेश | सीधी जिले में नशे का जाल तेजी से फैलता जा रहा है, और हैरानी की बात यह है कि इस अवैध कारोबार के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है। गांजा, नशीली दवाइयाँ, इंजेक्शन और प्रतिबंधित टेबलेट्स का व्यापार जिले के लगभग हर छोटे-बड़े क्षेत्र में पैर पसार चुका है।

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि सीधी पुलिस न केवल इन मामलों में लापरवाही बरत रही है, बल्कि कई जगहों पर पुलिस की संलिप्तता की भी आशंका जताई जा रही है। यह सवाल अब सीधे जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पर उठ रहे हैं—आखिर क्यों कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है?

❝ पुलिस संरक्षण में फल-फूल रहा है नशे का व्यापार? ❞

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले में एक संगठित गिरोह इस अवैध कारोबार को चला रहा है। इस गिरोह को स्थानीय स्तर पर कुछ प्रभावशाली तत्वों और कथित रूप से पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।

नशे का सामान – विशेष रूप से गांजा, कोरेक्स, इंजेक्शन और नींद की गोलियाँ – अब सीधी के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर नगर के बीचोबीच तक खुलेआम बेचे जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि तमाम शिकायतों और जनदबाव के बावजूद पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित है।

❝ नशे की गिरफ्त में युवा पीढ़ी, पर प्रशासन मौन ❞

नशे की लत का सबसे बड़ा असर जिले की युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। आए दिन नशे की वजह से झगड़े, चोरी, और अपराध की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्कूल-कॉलेजों के आसपास इस अवैध कारोबार का असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

 जनता की मांगें क्या हैं?

  1. जिले में STF या acb जांच की मांग: पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश जरूरी
  2. लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई: निलंबन और विभागीय जांच हो
  3. जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए: युवाओं को बचाने की जरूरत

समाजसेवियों का कहना है…

“जिले में नशे का कारोबार एक खुले रहस्य की तरह है। हम लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऊपर से नीचे तक सब चुप हैं। ये चुप्पी कहीं ना कहीं संदेह पैदा करती है।”
— सामाजिक कार्यकर्ता

सीधी जिले में जिस तरह से नशे का कारोबार पुलिस की नाक के नीचे फल-फूल रहा है, वह न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि समाज के भविष्य को भी खतरे में डाल रहा है। ज़रूरत है पारदर्शी और प्रभावी जांच की, ताकि दोषियों को सजा मिले और युवाओं को इस दलदल से बाहर निकाला जा सके।

 


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