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इन वजहों से सचिन पायलट नहीं बना रहे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस ताजा खबर

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सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत: राजस्थान के अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच भले ही विवाद ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की वजह से कुछ दिनों के लिए थम गया हो, लेकिन लगता है कि हमेशा के लिए ब्रेक नहीं लगता। दरअसल, गहलोत और पायलट के बीच असली जंग लड़ने के लिए जिस पर अब तक कांग्रेस आलाकमान ने कोई फैसला नहीं किया है। विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ एक साल का समय ही बचा है और पार्टी अब तक वही-पोह में फंस गई है कि राज्य में नया नेतृत्व दिया या फिर गहलोत को ही जारी रखा जाए। 25 सितंबर को गहलोत की निगाहों से बगावत के बाद माना जाने लगा कि जल्द ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो जाएगा, लेकिन कई महीनों के विवरण जाने के बाद भी ऐसा नहीं हो सका।

राजस्थान में कांग्रेस के भविष्य हैं पायलट
राजस्थान में सचिन पायलट को कांग्रेस का भविष्य माना जाता है। राज्य में कांग्रेस का कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जिसकी लोकप्रियता पायलट के रूप में सामने आती है। हालांकि, पायलट पर साल 2020 के बीच में की गई ‘बगावत’ हर बार भारी पड़ती है, जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा पाने का समर्थन नहीं मिलता। हालांकि, पायलट गुट का कहना है कि यदि प्रत्येक प्रकार से उनकी राय पूछें तो गहलोत के दिनचर्या पायलट का पलड़ा भारी होगा। पायलट को एक इंटरव्यू में गद्दार कहने वाले अशोक गहलोत भी हारने के लिए तैयार नहीं हैं। अलाकमान से स्पष्ट संकेत मिलने के बाद भी गहलोत ने हार नहीं मानी और अब तक नौकरी पर बने हुए हैं। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।

राजस्थान में भी हिमाचल प्रदेश
राजस्थान में विधानसभा चुनाव का इतिहास देखें तो पता चलता है कि पिछली कई चुनावों से हर पांच साल में सत्ताएं संभव हो रही हैं। यही टेम्पलेट हिमाचल प्रदेश में भी पिछले तीन दशकों से चल रहा है और इस बार कांग्रेस को खुशी मिली है। हर पांच साल में सरकार बदलने का चलन हो सकता है देखें तो भाजपा के लिए आगामी चुनाव से राहतभरा हो सकता है। प्रदेश में गहलोत सरकार की गैर-रोजगार, एंटी इनकमबेंसी सहित कई प्रमुख मुद्दे हैं, जिस पर कांग्रेस को बैकफुट पर जाना पड़ सकता है। राजस्थान की राजनीति को समझने वाले जानकारियों का कहना है कि पायलट को नहीं बनाने के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि कांग्रेस को समझ आ गया है कि आगामी चुनाव में पार्टी को झटका लग सकता है। ऐसे में सचिन पायलट, जोकि राज्य में ही नहीं, बल्कि देश में कांग्रेस के लिए लोकप्रिय चेहरे हैं, चुनाव से ठीक पहले उनकी छवि खराब क्यों करें? यदि आगामी चुनाव कांग्रेस के पक्ष में नहीं जाते हैं तो फिर पंजाब की तरह ही कांग्रेस के दांव-पेंच राजस्थान में भी खराब हो जाएंगे।

सीएम ने बनाया तो चन्नी की तरह न हो जाएं हश्र
पंजाब के पूर्व चरणजीत सिंह चन्नी को विधानसभा चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले दिया गया और उन्हें काम करने का मौका नहीं मिला। पंजाब का पहला पर्टैलिटिज सीएम होने के बाद भी चन्नी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को पंजाब चुनाव में करारी शिकस्त दी। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसी प्रकार से पायलट को यदि कमान सौंपी जाती है तो उन्हें भी निश्चित रूप में काम करने के लिए काफी कम समय मिलेगा। इस वजह से कांग्रेस आलाकमान पायलट को अगले साल दस राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और उसके बाद के चुनाव में स्टार प्रचारक के रूप में काम पर जोर दे रही है। उल्लेखनीय है कि पायलट ने हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस की ओर से स्टार प्रोमोशनल की भूमिका निभाने के साथ-साथ कई रैलियां की थीं, जिसकी वजह से पार्टी ने बुरे दौर से बरकरार रहने के बाद भी जीत दर्ज की।

कांग्रेस और पायलट दोनों को किसमें फायदा?
‘मैनीकंट्रोलर’ के मुताबिक जानकार मानते हैं कि राजस्थान की अगली विधानसभा के चुनाव में गहलोत अपना आखिरी चुनाव होने का इमोशनल कार्ड भी खेल सकते हैं, जिसका कुछ प्रतिशत लाभ होने की भी संभावना है। इसके अलावा, यदि गहलोत को पार्टी राजस्थान तक सीमित समाहित पायलट को केंद्रीय स्तर तक ले जाया जाता है तो उससे पायलट और कांग्रेस दोनों को ही लाभ मिलेगा। कांग्रेस के पास एक राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा चेहरा मिल जाएगा, जिसकी लोग आकांक्षा पसंद करते हैं और जिसके युवा तक भी पहुंचते हैं। वहीं, पायलट को भी फायदा होगा कि वे गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान के साथ बहुत ज्यादा समय तक काम कर सकते हैं, जिससे पार्टी का नेतृत्व का उन पर विश्वास और दुर्घटना हो सकती है।

 


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