
UNITED NEWS OF ASIA. छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)। जिले के परासिया क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में एक महिला ने एक ऐसे नवजात शिशु को जन्म दिया है, जिसे देखकर डॉक्टरों और स्टाफ के साथ-साथ परिजन भी हैरान रह गए। नवजात की त्वचा सफेद और सख्त परतों से ढकी हुई है और उसका चेहरा सामान्य बच्चों से बिल्कुल अलग दिख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बच्चा ‘हार्लेक्विन इचिथियोसिस’ नामक एक दुर्लभ अनुवांशिक त्वचा रोग से ग्रसित है।
क्या है हार्लेक्विन इचिथियोसिस?
यह एक अत्यंत दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसमें शिशु की त्वचा मोटी, सख्त और गहरी दरारों से युक्त होती है। इसकी वजह से त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है और संक्रमण, निर्जलीकरण और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में भ्रूण का संपूर्ण विकास बाधित हो जाता है, जिसके चलते नवजात का स्वरूप असामान्य प्रतीत होता है।
डॉक्टरों की देखरेख में इलाज जारी
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि बच्चे का इलाज विशेषज्ञों की निगरानी में जारी है। फिलहाल शिशु को इंफेक्शन से बचाने के लिए विशेष आईसोलेशन में रखा गया है और लगातार मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। शिशु की स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन डॉक्टर हर संभव उपचार देने में जुटे हुए हैं।
संवेदनशीलता जरूरी
ऐसे मामलों में सामाजिक संवेदनशीलता और वैज्ञानिक समझ बेहद आवश्यक है। अक्सर इन बच्चों के प्रति अंधविश्वास या भय फैलता है, जो कि पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। यह एक चिकित्सकीय स्थिति है, न कि किसी प्रकार का चमत्कार या रहस्य।
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