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खनन माफिया की करतूतें उफान पर: सरपंच पर मिलीभगत का आरोप, कलेक्टर ने दिए कार्रवाई के आदेश

UNITED NEWS OF ASIA. सक्ती  | सक्ती जिले के छितापंडरिया गांव में अवैध खनन का आतंक अब जनजीवन को सीधा खतरे में डाल चुका है। खनन माफिया ने गांव के तालाब के चारों ओर बारूद और डेटोनेटर बिछाकर अंधाधुंध ब्लास्टिंग शुरू कर दी है। हालात ऐसे हैं कि कभी भी बड़ा विस्फोट हो सकता है, जिससे ग्रामीणों की जान को गम्भीर खतरा बना हुआ है।

 तालाब बना ब्लास्टिंग ज़ोन, हर ओर फैला खतरा

स्थानीय लोगों ने बताया कि खनन माफिया डोलोमाइट पत्थर की अवैध खुदाई के लिए तालाब के आसपास बारूद बिछा कर धमाके कर रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह सब गांव के सरपंच की मिलीभगत से हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को जानकारी दिए बिना ये धमाके कई दिनों से जारी हैं।

सवालों के घेरे में प्रशासन और सप्लायर

इस मामले ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • बारूद कहां से आया?
    इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक किसने और कैसे सप्लाई किया? सूत्रों के मुताबिक एक “सोनी” नामक व्यक्ति का नाम सामने आया है, जिसकी भूमिका जांच के दायरे में है।

  • क्या सरपंच ने अनुमति दी?
    यदि दी तो क्या यह कानूनी थी? और यदि नहीं दी, तो क्या उन्होंने पुलिस या प्रशासन को इसकी जानकारी दी?

  • उत्खनन के बाद पत्थर कहां गया?
    ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सप्ताह सैकड़ों ट्रकों में डोलोमाइट पत्थर भरकर भेजा गया, जो एक स्थानीय क्रशर तक पहुंचा। क्या उस पर कोई जांच या कार्रवाई हुई?

 कलेक्टर का बयान: अवैधता पर नहीं होगी रियायत

मामले की जानकारी मिलने पर सक्ती कलेक्टर ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा:

“हमने जांच टीम भेज दी है। जो भी इस खतरनाक और गैरकानूनी गतिविधि में शामिल पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। आमजन की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।”


ग्रामीणों की मांग: पारदर्शी जांच और तत्काल कार्रवाई

छितापंडरिया गांव के लोग भय और गुस्से में हैं। वे मांग कर रहे हैं कि—

  • तालाब के चारों ओर से तुरंत बारूद हटाया जाए

  • खनन माफियाओं और उनसे मिले लोगों को गिरफ्तार किया जाए

  • विस्फोटक सप्लाई चैन और क्रशर माफिया की गहराई से जांच हो

 निष्कर्ष: बारूद पर खड़ा सिस्टम?

छत्तीसगढ़ जैसे खनिज संपन्न राज्य में अगर ग्राम पंचायत स्तर पर ही बारूद बिछाकर अवैध खनन हो रहा है, तो यह केवल माफिया की ताकत नहीं, बल्कि प्रशासनिक ढिलाई और रसूखदार संरक्षण की कहानी भी कहता है।
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन सच में दोषियों तक पहुंचेगा, या यह मामला भी बाकी खबरों की तरह धूल फांकता रह जाएगा।

 


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