
कोरोनावायरस इंडिया अपडेट: चीन में कोरोना वायरस ने कोहराम मचाया है। इसकी वजह से भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है और पिछले कुछ दिनों में कई अहम जजमेंट के लिए हैं। हालांकि, अभी देश में कोरोना के ज्यादा मामले सामने नहीं आ रहे हैं। ऐसे जानकारों का कहना है कि भारत में कोविड-19 के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए वैश्विक प्रतिबद्धताओं पर रोक या लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कुछ देशों के मामले में बढ़ने की दृष्टि से निगरानी और स्थिरता अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के गंभीर मामले आने और रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका नहीं है, क्योंकि भारत में लोगों में ‘हाइब्रिड प्रतिरक्षा’ विकसित हो चुकी है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”कुल मिलाकर कोविड-19 के मामलों में वृद्धि नहीं हुई है और भारत अभी ठीक स्थिति में है। मौजूदा अनुबंध में विश्वव्यापी प्रतिबंधों पर रोक या लॉकडाउन लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है।” डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पहले के अनुभव से पता चलता है कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए एक पर पाबंदी प्रभावी नहीं है।”
उन्होंने कहा, ”आंकड़े दिखा रहे हैं कि चीन में संक्रमण के तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार ओमीक्रोन का बीएफ.7 उपस्वरूप हमारे देश में पहले ही पाया गया है।” यह संबद्धता कि आगामी दिनों में लॉकडाउन की आवश्यकता है, डॉ. गुलेरिया ने कहा, ”कोविड के गंभीर मामले बढ़ने और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना नहीं है, क्योंकि टीकाकरण की अच्छी दर और प्राकृतिक रूप से संक्रमण होने के कारण भारतीयों में हाइब्रिड इम्यूनिटी (हाइब्रिड इम्युनिटी) पहले ही विकसित हो चुकी है। उन्होंने कहा, ”मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए और लोगों के बीच हाइब्रिड प्रतिरक्षा की अच्छी-खासी दर होने के कारण लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है।”
अन्य जानकारों की राय
सफदरजंग अस्पताल में लिप्स और गहनता विभाग के डॉ. प्रोफेसर नीरज गुप्ता ने कहा कि भारत को चीन और कुछ अन्य देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को देखते हुए अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है, लेकिन ”भारत के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए निकट भविष्य में लॉकडाउन जैसी स्थिति की परिभाषा की परिभाषा नहीं है। उसने कहा है।” उन्होंने कहा कि ‘हाइब्रिड प्रतिरक्षण’ किसी व्यक्ति को भविष्य में होने वाले संक्रमण के रूप में अधिक सुरक्षित बनाता है। डॉ. गुप्ता ने यह भी कहा कि चीन अधिक कमजोर स्थिति में है, जिसके कारण कम प्राकृतिक प्रतिरक्षा, फिर भी खराब टीकाकरण रणनीति हो सकती है, जिनमें बड़ी और कमजोर आबादी के युवा और स्वस्थ लोगों को तरजीह दिया गया है। साथ ही चीनी टीकों को संक्रमण से बचाने में कम प्रभावी भी पाया गया है।
‘घबराने की कोई बात नहीं’
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के अध्यक्ष डॉ. एन के अरोड़ा ने कहा कि भारत में कोविड की मौजूदा स्थिति नियंत्रण में है और घबराहट की कोई बात नहीं है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि लोगों को उनके अनुकूल व्यवहार अपनाना चाहिए और दावों की स्थिति खुराक लेनी चाहिए। जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्राज़ील, फ़्रांस और चीन में मामला बढ़ने के बीच भारत ने निगरानी और संबद्धताएं जुड़ते की प्रक्रिया को पक्का कर दिया है। भारत के 97 वर्षीय पात्र आबादी ने कोविड-19 रोधी टीका की पहली डोज़ ली है, जबकि 90 प्रतिशत ने दूसरी डोज़ ले ली है। केवल 27 वर्ष की स्थिति का विवरण प्राप्त होता है।



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