
UNITED NEWS OF ASIA. महेंद्र शुक्ला, भरतपुर/चिरमिरी | प्रतिनिधि“नया भारत” की ओर बढ़ रहे छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की हालत कुछ और ही बयां कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री के गृह ग्राम में ही मासूम बच्चे नशे के धंधे में धकेले जा रहे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि स्कूल-कॉलेज छोड़ कर बच्चे अब नशे के इंजेक्शन लगा रहे हैं और गली-कूचों में जहर बेच रहे हैं।
बच्चों के हाथों में किताब की जगह नशे का इंजेक्शन
स्थानीय लोगों की मानें तो चिरमिरी और भरतपुर जैसे इलाकों में 12 से 17 साल तक के नाबालिग बच्चे नशे के इंजेक्शन का सेवन कर रहे हैं। कुछ को नशे का सामान बेचने के लिए पैसे का लालच दिया जाता है, तो कुछ को नशे का आदी बना कर उन्हें ही डिलीवरी बॉय की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री के गांव से उठ रहे गंभीर सवाल
यह पूरा मामला इसलिए और भी गंभीर है क्योंकि यह वही इलाका है जहां से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री आते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मंत्री के खुद के क्षेत्र में ही स्वास्थ्य और समाज को खोखला करने वाला नशा बेलगाम है, तो फिर बाकी प्रदेश की स्थिति क्या होगी?
प्रशासन मौन, कार्रवाई नदारद
स्थानीय प्रशासन इस पूरे मामले पर चुप है। न कोई जांच, न कोई रेड और न ही कोई ठोस कार्रवाई अब तक देखने को मिली है। सूत्रों की मानें तो कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
हिट लिस्ट” में पहुंचा जिला?
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर अब नशे के कारोबारियों की “हिट लिस्ट” में आ चुका है। छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों से अवैध ड्रग्स की आपूर्ति यहां हो रही है और उसका सबसे आसान शिकार बन रहे हैं स्कूल जाने वाले बच्चे।
अब सवाल उठता है—क्या वाकई यही है ‘नया भारत’?
जहां नाबालिग बच्चे नशे में झोंक दिए जाएं और जिम्मेदार लोग आंख मूंद लें?
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