
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक ऑपरेशन जारी है। कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभालते हुए कई बड़े नक्सली नेताओं को घेर लिया है। इसी बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवानों के हौसले और बलिदान की सराहना करते हुए बड़ा बयान दिया है।
CM साय ने कहा, “44 डिग्री सेल्सियस की प्रचंड गर्मी, न पानी, न छांव – ऐसी विषम परिस्थितियों में भी हमारे वीर जवान कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर डटे हुए हैं। यह नक्सलवाद के खात्मे की निर्णायक घड़ी है। हम इस लड़ाई को हर हाल में जीतेंगे।”
ऑपरेशन में अब तक 5 नक्सली ढेर, 40 जवान हीटवेव के शिकार
अब तक इस संयुक्त ऑपरेशन में 5 नक्सलियों को मारा गया है, जिनमें 3 महिला माओवादी भी शामिल हैं। उनके शव और हथियार बरामद कर लिए गए हैं। वहीं अत्यधिक गर्मी के चलते 40 जवान हीटवेव का शिकार हो चुके हैं, जिन्हें एयरलिफ्ट कर अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की संयुक्त फोर्स द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में फोर्स ने चारों ओर से घेराबंदी कर रखी है, और हर दिन ऑपरेशन आगे बढ़ रहा है।
नक्सलियों के पास एक महीने का राशन, पहाड़ों में छिपे बड़े कमांडर
जानकारी के मुताबिक, नक्सलियों ने पहाड़ों में छिपने की व्यापक तैयारी की हुई है। उनके पास एक महीने का राशन और प्राकृतिक जल स्रोत हैं, जो उन्हें टिके रहने में मदद कर रहे हैं। वहीं, ऑपरेशन के दौरान जवानों को एक गुफा में शिवलिंग स्थापित मिला, जिससे इस क्षेत्र में माओवादियों की धार्मिक प्रतीकों के साथ रणनीतिक मौजूदगी भी जाहिर होती है।
हिड़मा, दामोदर, आज़ाद सहित कई बड़े माओवादी घेरे में
सूत्रों के अनुसार, कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में बटालियन नंबर 1 और 2 के प्रमुख नेता हिड़मा, दामोदर, बल्ली प्रकाश, आज़ाद, चंद्रन्ना, सुजाता, विकल्प, विज्जा, उर्मिला, अभय और पापा राव जैसे कुख्यात नक्सली कमांडर छिपे हुए हैं। यदि यह ऑपरेशन सफल होता है तो बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद की रीढ़ टूट जाएगी।
देशभर की नजरें टिकीं, ऑपरेशन निर्णायक मोड़ पर
बस्तर के इस ऐतिहासिक ऑपरेशन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों और केंद्र सरकार की भी इस पर पैनी नजर है। जवानों का कहना है कि जब तक लक्ष्य पूरा नहीं होता, ऑपरेशन जारी रहेगा।
यह लड़ाई केवल बंदूकों की नहीं, बल्कि साहस, धैर्य और रणनीति की भी है। बस्तर की पहाड़ियों में देश के सैकड़ों जवान अपनी जान जोखिम में डालकर उस भविष्य की नींव रख रहे हैं, जो नक्सलवाद से मुक्त, शांत और सुरक्षित छत्तीसगढ़ की ओर ले जाएगा।
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