
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। प्रदेश सरकार भले ही किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं चला रही हो, लेकिन कबीरधाम जिले के रघुपारा, तिलाईभाट और बद्दो गांव के किसान इस समय पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। गर्मी के इस भीषण मौसम में खेत सूख चुके हैं और फसलें संकट में हैं।
करोड़ों स्वीकृत, फिर भी अधूरी नहर
किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद सरकार ने करिया आमा से राम्हेपुर तक तीन किलोमीटर लंबी नहर निर्माण के लिए करोड़ों रुपये स्वीकृत किए थे। इस परियोजना का उद्देश्य आसपास के दर्जनों गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना था ताकि किसान धान, चना और गन्ना जैसी फसलों की बेहतर पैदावार ले सकें। लगभग दो किलोमीटर नहर का निर्माण हो चुका है, लेकिन बीते पांच वर्षों से यह योजना ठप पड़ी है।
भूमि विवाद बना निर्माण में बाधा
बद्दो गांव के कुछ किसानों द्वारा जमीन देने से इनकार करने के चलते नहर का विस्तारीकरण कार्य बीच में अटक गया है। जबकि आधा दर्जन से अधिक किसान इसके लिए तैयार हैं। जल संसाधन विभाग द्वारा इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक बुलाई गई, लेकिन बैठक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
सब-इंजीनियर ने दिया भरोसा
जल संसाधन विभाग की सब-इंजीनियर रेखा ने कहा, “भूमि विवाद के कारण नहर निर्माण कार्य रुका हुआ है। जैसे ही यह विवाद सुलझेगा, काम को फिर से गति दी जाएगी। परियोजना पूरी होते ही पानी की किल्लत से क्षेत्र को राहत मिलेगी।”
ग्रामीणों का आरोप: अफसरों की उदासीनता
ग्रामीणों का कहना है कि पांच वर्षों से अधूरी पड़ी इस योजना पर प्रशासन ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। बार-बार ज्ञापन और मांगों के बावजूद समाधान नहीं निकाला जा रहा है। किसानों का यह भी कहना है कि समय रहते यदि नहर पूरी हो जाती, तो इस साल की गर्मी में खेती बच सकती थी।
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