
UNITED NEWS OF ASIA, खैरागढ़ (छत्तीसगढ़): खैरागढ़ की बेटी दिव्या महोबे ने समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए अपनी मां शिला रानी महोबे को मुखाग्नि दी, जो आमतौर पर बेटे की जिम्मेदारी मानी जाती है। इस कदम ने समाज को एक नई दिशा दिखाई और साबित किया कि प्रेम, श्रद्धा और कर्तव्य में कोई भेदभाव नहीं होता।
शिला रानी महोबे, जो एक प्रतिष्ठित समाज सेविका, पूर्व पार्षद और महिला कांग्रेस की पूर्व शहर अध्यक्ष थीं, का हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही थीं। उनका अचानक निधन नगर के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
अंतिम संस्कार के दौरान, दिव्या महोबे ने बड़े साहस के साथ अपनी मां को मुखाग्नि दी, जिससे उन्होंने साबित कर दिया कि बेटियां हर काम में सक्षम होती हैं। इस घटनाक्रम ने समाज में महिला सशक्तिकरण और समानता का संदेश दिया है।
सभी उपस्थित लोग दिव्या की हिम्मत और संस्कारों की सराहना कर रहे थे, और यह भी दर्शाया गया कि माता-पिता के प्रति प्रेम और कर्तव्य सर्वोपरि है, चाहे वह बेटा हो या बेटी। दिव्या महोबे का यह कदम समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया है
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