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छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला, लोकतंत्र सेनानियों के लिए विधेयक पारित

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में आज लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक पर जोरदार बहस और विपक्ष के विरोध के बीच विधेयक पारित कर दिया गया। विपक्ष ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए सदन से बहिर्गमन किया, जबकि सरकार ने इसे ऐतिहासिक और लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान से जुड़ा बताया।

विपक्ष का हंगामा और बहिर्गमन

विपक्ष के नेता डॉ. चरणदास महंत ने विधेयक को संविधान विरोधी करार देते हुए कहा कि विधानसभा को इस पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने विधेयक पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। उनकी आपत्ति पर सदन में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। चर्चा के दौरान उन्होंने कानून मंत्री अरुण साव से भी स्पष्टीकरण मांगा।

हालांकि, सरकार की ओर से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक राज्य सूची में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र से संबंधित है, इसलिए विधानसभा को इस पर कानून बनाने का पूरा अधिकार है। मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 2018 में इसी तरह का कानून पास हो चुका है।

सभापति ने विपक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया, जिससे नाराज कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट (बहिर्गमन) कर दिया।

आपातकाल की याद और लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत भाजपा विधायक अमर अग्रवाल ने की, जिन्होंने 1975 के आपातकाल को इतिहास का काला दिन बताते हुए कहा कि तत्कालीन सरकार ने लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास किया था और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले सेनानियों को जेलों में डाल दिया गया था। भाजपा विधायकों धरमलाल कौशिक, राजेश मूणत और सुशांत शुक्ला ने भी अपने विचार रखे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “देश आपातकाल की उस काली रात को कभी नहीं भूल सकता, जब लोकतंत्र को कुचलने का काम किया गया था। आज हम उन सेनानियों को सम्मान देने के लिए यह विधेयक लेकर आए हैं, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।”

विधेयक हुआ पारित

विपक्ष की अनुपस्थिति में सदन में लंबी चर्चा के बाद लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

 मुख्य बातें:

  •  लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक पर सदन में गरमागरम बहस
  •  विपक्ष ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए किया बहिर्गमन
  •  सरकार ने इसे लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान बताते हुए दी सफाई
  •  मध्यप्रदेश में पहले से लागू कानून का दिया गया हवाला
  •  लंबी चर्चा के बाद विधेयक सर्वसम्मति से पारित


छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित यह विधेयक ऐतिहासिक माना जा रहा है, लेकिन विपक्ष का विरोध यह संकेत देता है कि इसे लेकर राजनीतिक विवाद अभी और गहराएगा।

 


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