
UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार (26 फरवरी 2025) को पश्चिम बंगाल के 32 बीजेपी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया है। गृह मंत्रालय की सुरक्षा समीक्षा समिति द्वारा जारी इस सूची में पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला, पूर्व सांसद दशरथ तिर्की, बीजेपी नेता शंकुदेव पांडा और पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर समेत कई अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं।
क्यों हटाई गई सुरक्षा?
बीजेपी सांसद और पश्चिम बंगाल के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने इसे एक रूटीन प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा समीक्षा समय-समय पर की जाती है और गृह मंत्रालय तय करता है कि किसे सुरक्षा की आवश्यकता है और कब नहीं।
किन नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई?
- गृह मंत्रालय द्वारा जारी सूची में शामिल प्रमुख नाम:
पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला - पूर्व सांसद दशरथ तिर्की
- बीजेपी नेता शंकुदेव पांडा
- पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर
- डायमंड हार्बर से बीजेपी प्रत्याशी अभिजीत दास
- डायमंड हार्बर के पूर्व विधायक दीपक हलदर
- बोलपुर लोकसभा से बीजेपी उम्मीदवार पिया साहा
- जंगीपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार धनंजय घोष
नेताओं की प्रतिक्रिया
अभिजीत दास, जिनकी सुरक्षा हटा ली गई है, ने कहा,
“मुझे अभी तक कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है, लेकिन यह एक नियमित प्रक्रिया है। गृह मंत्रालय हर तीन महीने में सुरक्षा की समीक्षा करता है। पिछले 6.5 सालों में मैंने कई बार ऐसी सूची देखी है।”
बीजेपी प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा,
“यह पूरी तरह से एक नियमित प्रक्रिया है। गृह मंत्रालय सुरक्षा जरूरतों का आकलन करता है और उसी अनुसार फैसले लेता है। इस पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है।”
क्या यह चुनावी रणनीति से जुड़ा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद बीजेपी के कई नेताओं की हार के चलते गृह मंत्रालय ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है। हालांकि, पार्टी ने इसे सुरक्षा मानकों के तहत लिया गया सामान्य निर्णय बताया है।
क्या फिर से मिलेगी सुरक्षा?
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई हो। गृह मंत्रालय द्वारा समय-समय पर समीक्षा के बाद सुरक्षा वापस देने की प्रक्रिया भी होती है। अभिजीत दास के अनुसार, कुछ समय पहले भी 20 नेताओं की सुरक्षा हटी थी, लेकिन बाद में पुनः बहाल की गई थी।
इस मामले में आगे क्या होगा?
अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में गृह मंत्रालय किसी नेता की सुरक्षा फिर से बहाल करता है या नहीं। हालांकि, इस फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
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