
UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में लंबित जमानत याचिकाओं पर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि बिहार में जमानत के मामले लंबित रहने की वजह से वहां “थोड़ी शांति” है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
दरअसल, बिहार के एक याचिकाकर्ता ननंदो मेहतो ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अपील दायर की थी। इस दौरान उनके वकील ने बेंच को बताया कि बिहार की अदालतों में जमानत याचिकाएं नौ-नौ महीनों तक लंबित रहती हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया में देरी होती है। वकील ने आग्रह किया कि ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया जाए कि वह ऐसे मामलों का जल्द निपटारा करें।
सुप्रीम कोर्ट ने की दिलचस्प टिप्पणी
वकील की दलील पर जस्टिस विक्रम नाथ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “इसी वजह से बिहार में थोड़ी शांति है।” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को कोई विशेष निर्देश देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को राहत देने से मना कर दिया।
जमानत के लिए निचली अदालत का रुख करने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि याचिकाकर्ता को नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को दो हफ्ते के भीतर सरेंडर करना होगा और ट्रायल कोर्ट में बेल याचिका दायर करनी होगी।
ट्रायल कोर्ट मेरिट के आधार पर करेगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “याचिका को वापस लिया गया मानते हुए खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वह दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करे और नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन करे। ट्रायल कोर्ट इस याचिका पर मेरिट के आधार पर विचार करेगा।”
बिहार में जमानत याचिकाओं की देरी पर सवाल
गौरतलब है कि बिहार में जमानत मामलों के लंबित रहने को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कई मामलों में जमानत याचिकाएं 9-9 महीनों तक पेंडिंग रहती हैं, जिससे अभियुक्तों को अनावश्यक रूप से जेल में रहना पड़ता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई ठोस निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया।
यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है, जहां लोग न्यायिक प्रक्रिया में देरी और न्याय तक त्वरित पहुंच को लेकर सवाल उठा रहे हैं।













