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बिलासपुर नगर निगम चुनाव: भाजपा की पूजा और कांग्रेस के प्रमोद आमने-सामने, छत्तीसगढ़िया बनाम गैर-छत्तीसगढ़िया पर टिका सियासी दांव

UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर। आगामी नगर निगम चुनाव में बिलासपुर के महापौर पद के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने ओबीसी वर्ग की महिला प्रत्याशी पूजा विधानी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने कुर्मी समाज के मजबूत नेता प्रमोद नायक को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही पार्टियां जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने में जुटी हैं, जिससे यह मुकाबला रोचक और अहम बन गया है।

भाजपा की रणनीति: महिला वोटर्स पर फोकस

भाजपा ने महतारी वंदन योजना को भुनाने के लिए पूजा विधानी को प्रत्याशी बनाया है। पूजा तेलुगु समाज से ताल्लुक रखती हैं, जो भाजपा को तेलुगु और सिंधी समाज के वोटर्स का समर्थन दिला सकता है। भाजपा की कोर कमेटी में यह तय किया गया था कि ओबीसी वर्ग की महिला को उम्मीदवार बनाया जाएगा, ताकि महिला वोटर्स का झुकाव पार्टी की ओर बढ़ाया जा सके।

कांग्रेस की रणनीति: छत्तीसगढ़िया बनाम गैर-छत्तीसगढ़िया

कांग्रेस ओबीसी आरक्षण और क्षेत्रीय पहचान को प्रमुख मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ सकती है। प्रमोद नायक छत्तीसगढ़ के कुर्मी समाज के प्रभावशाली नेता हैं और छत्तीसगढ़िया पहचान को लेकर कांग्रेस का प्रमुख चेहरा हो सकते हैं। वहीं, भाजपा की गैर-छत्तीसगढ़िया प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस इस चुनाव में आक्रामक रुख अपना सकती है।

कौन हैं प्रमोद नायक?

57 वर्षीय प्रमोद नायक कुर्मी समाज के कद्दावर नेता हैं और छत्तीसगढ़ कुर्मी चेतना मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। उनका राजनीतिक सफर युवक कांग्रेस से शुरू हुआ, जहां वे प्रदेश उपाध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा, वे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष और कांग्रेस के प्रदेश सचिव रह चुके हैं। संगठन के काम में लंबा अनुभव होने के साथ वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं।

मुकाबले की दिलचस्पी क्यों?

  • भाजपा महिला और ओबीसी कार्ड खेलकर महिला वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही है।
  • कांग्रेस छत्तीसगढ़िया पहचान और ओबीसी आरक्षण को मुद्दा बनाकर चुनावी समीकरण मजबूत कर सकती है।
  • बिलासपुर में यादव, साहू, और कुर्मी समाज के वोटर्स का बड़ा हिस्सा कांग्रेस की तरफ झुक सकता है।

चुनावी मैदान में चुनौतियां

भाजपा जहां अमर अग्रवाल के करीबी पूजा विधानी के सहारे मजबूत दांव खेल रही है, वहीं कांग्रेस को अपनी गुटबाजी और बगावत से बचना होगा। यदि कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरी, तो यह मुकाबला बेहद दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

निगम चुनाव का महत्व

बिलासपुर नगर निगम का चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। भाजपा अपनी मजबूत स्थिति को बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जबकि कांग्रेस इस चुनाव को क्षेत्रीय पहचान और ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दों से जीतने की तैयारी कर रही है।

 


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