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गोपालगंज अन्नान में एसडीपीओ के कारनामों को लेकर कोर्ट ने बिहार के डीजीपी को लिखा पत्र

गोपालगंज : जिले में पुलिस की हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है। जिसे देखकर कोर्ट (गोपालगंज कोर्ट) भी हैरत में पड़ गया है। चार्ज सीजेएम (सीजेएम) मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट में आरोपितों को बचाने का खेल पुलिस ने खेला है, जिसमें अरोपितों को क्लीन चिट देकर अज्ञात के खिलाफ मामलों को सच बताया गया है। जिला अभियोजन अधिकारी हीरालाल गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि पत्रांक 721 दिनांक 10.05.22 के अनुरोध के आधार पर डीएसपी ज्योति कुमारी ने जांच कर कांड को सत्य करार दिया। घटना के एक साल बाद भी पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया। कोर्ट ने पुलिस अफसर तेना सहित अन्य अधिकारियों को इस कांड में पत्र भेजकर सदर स्टेट ऑपेरशन की भूमिका की जांच के लिए टीम गठित करने को कहा है।

मामला क्या है

जिले के नगर थाना के सुंदरपट्टी गांव के विंदेश्वरी यादव 06 दिसंबर 2021 को मेडिकल दुकान बंद कर घर लौट रहे थे, पहले से घायल हुए दिनेश यादव, विश्वजीत यादव, रितेश यादव ने पूर्व में विवाद के कारण उन्हें गोली मार दी। घायल विंदेश्वरी यादव को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज और लखनऊ में उनके शरीर से एक गोली निकाली गई। इस मामले में पीड़ित ने सीजेएम के कोर्ट में आवेदन देते हुए सदर स्टेट पोजीशन और रिसर्चर पर यह आरोप लगाया कि इस घटना के गवाह और वाकी अपने मामले के समर्थन में आने के लिए तैयार हैं, वे लोग अपने बयान दर्ज नहीं करते हैं, दूसरे लोगों के बयान दर्ज करते हैं कर रहे हैं।

कोर्ट में शपथ पत्र देकर स्टेटस पोस्टो के साक्षियों ने बताया सब सच

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वहीं, इस मामले के सभी गवाह हरेंद्र यादव, उमेश सिंह, रामसनेही यादव ने 07. जुलाई 22 को सीजेएम कोर्ट में शपथ पत्र देते हुए कहा कि नगर थाना कांड संख्या 908/22 में स्टैण्डियो ने हम लोगों के नाम गवाह के रूप में अंकित किया है , यह सही नहीं है, ऐसा कोई बयान हमने उन्हें नहीं दिया है। घटना के संबंध में कुछ जानकारी नहीं है। पुलिस उपाधीक्षक के माध्यम से अपना निरीक्षण टिप्पणी प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने इस कांड के नामजद अभियुक्त दिनेश यादव के प्रतिपक्षी मामले को सत्य पाया, कांड के अन्य नामजद विश्वजीत यादव के सापेक्ष जांच जारी रखा और ठोस सत्यापन का निर्देश दिया। वर्तमान में अभियुक्त दिनेश यादव की जमानत पूर्व 24 नवंबर 22 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा खारिज कर दिया गया है।

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