कबीरधामछत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ी भाषा आएगी प्रशासनिक कार्यों में छत्तीसगढ़ी भाषा की झलक दिखनी चाहिए- डॉ अभिलाषा बेहार

राजभाषा आयोग की कार्यशाला में छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर जोर

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा “प्रशासनिक कार्य व्यवहार में छत्तीसगढ़ी भाखा का उपयोग“ विषय पर आज कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कलेक्टर गोपाल वर्मा, जिला पंचायत सीईओ अजय त्रिपाठी, राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार, वक्ता सुशील शर्मा और ऋतुराज साहू विशेष रूप से उपस्थित रहे। जिले के सभी विभाग प्रमुखों और अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य प्रशासनिक कामकाज में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना और इसे शासन-प्रशासन में अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना था। राजभाषा आयोग ने इस पहल के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा को शासन का हिस्सा बनाने और इसे आम जनता के साथ संवाद का माध्यम बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं।

राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार ने छत्तीसगढ़ी भाषा के गौरवशाली इतिहास और उसके प्रशासनिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा का पहला व्याकरण सन 1880 में तैयार किया गया और 1900 में इसे पुस्तक रूप में प्रकाशित किया गया। राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा केवल एक संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इसे संरक्षित करना और प्रशासनिक कार्यों में लागू करना हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा “लोक व्यवहार में छत्तीसगढ़ी“ नामक एक मार्गदर्शिका प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक में हिंदी के 67 शब्दों और वाक्यों का छत्तीसगढ़ी अनुवाद, नोटशीट, छुट्टी आवेदन, और जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों के प्रारूप दिए गए हैं।

कलेक्टर गोपाल वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा प्रशासनिक कार्यों में केवल एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और संस्कृति से जुड़ने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को अपनाना न केवल हमारी संस्कृति को संरक्षित करेगा, बल्कि शासन-प्रशासन को जनता के करीब लाने में भी मददगार साबित होगा।

सुशील शर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने और इसके विकास के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भाषाई आधार पर हुआ था, और छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा के रूप में स्थापित करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का हिस्सा है। ऋतुराज साहू ने प्रशासनिक कामकाज में छत्तीसगढ़ी भाषा के तकनीकी और व्यावहारिक उपयोग पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग से प्रशासनिक कार्य और संवाद अधिक सरल, प्रभावी और जनहितकारी बन सकते हैं।

छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए भविष्य की योजना और लक्ष्य

प्रशिक्षण के दौरान राजभाषा आयोग ने बताया कि इस कार्यशाला के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रशासनिक उपयोग को बढ़ावा देने की शुरुआत की गई है। यह कार्यक्रम कबीरधाम जिले में वर्ष 2025 की पहली कार्यशाला है। भविष्य में प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
कार्यशाला में यह भी चर्चा की गई कि छत्तीसगढ़ी भाषा को केवल शासकीय कामकाज तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे दैनिक जीवन और शिक्षा का हिस्सा बनाने की दिशा में भी प्रयास किए जाएंगे।

लोक व्यवहार में छत्तीसगढ़ी“ नामक मार्गदर्शिका का प्रकाशन

प्रशिक्षण में बताया गया कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए “लोक व्यवहार में छत्तीसगढ़ी“ नामक मार्गदर्शिका प्रकाशित की है। इस पुस्तक में हिंदी के 67 शब्दों और वाक्यों का छत्तीसगढ़ी अनुवाद, नोटशीट, छुट्टी आवेदन और जाति प्रमाण पत्र के छत्तीसगढ़ी प्रारूप उपलब्ध कराए गए हैं। आयोग ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेशभर में कार्यशालाओं का आयोजन कर छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रशासनिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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