














राजनांदगांव जिले के वनांचल क्षेत्रों में पद्मश्री फुलबासन बाई यादव और फेडरेशन के संरक्षक शिव देवांगन के नेतृत्व में महिलाओं को जिमीकंद की खेती से जोड़ा जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी आय में वृद्धि करना है। जिमीकंद की खेती से महिलाओं को न केवल अतिरिक्त आमदनी हो रही है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है।
ग्राम बनहरदी की महिला किसान खिलेश्वरी साहू ने जिमीकंद पर विशेष गीत तैयार किया है। यह गीत न केवल जिमीकंद की खेती के महत्व को दर्शाता है, बल्कि इसकी पौष्टिकता और स्वाद का भी बखान करता है। खिलेश्वरी ने इस गीत को स्वयं लिखा और गाया है। उनका कहना है कि यह गीत महिलाओं को जिमीकंद की खेती के लिए प्रेरित करने और उन्हें शून्य लागत पर अधिक मुनाफा कमाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
जिमीकंद में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं। इस फसल की खासियत यह है कि यह बिना खाद के भी अच्छी पैदावार देती है। गीत में बताया गया है कि दो वर्षों के भीतर जिमीकंद की खेती से महिलाएं लाखों रुपए की आमदनी अर्जित कर रही हैं। विशेष रूप से दीपावली के समय जिमीकंद की मांग बढ़ने से किसानों को अतिरिक्त लाभ होता है।
बीते कुछ वर्षों में राजनांदगांव, खैरागढ़, और मोहला-मानपुर जिलों की महिलाओं ने बड़े पैमाने पर जिमीकंद की खेती शुरू की है। दीपावली पर्व के दौरान इसकी फसल को बड़े स्तर पर बेचा जाता है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।जिमीकंद पर तैयार किया गया यह छत्तीसगढ़ी गीत महिलाओं की सशक्तिकरण यात्रा में एक अनोखी पहल है। यह न केवल कृषि को बढ़ावा देता है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की राह भी दिखाता है।
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