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छत्तीसगढ़ में 18 करोड़ का सोलर लाइट घोटाला और जल जीवन मिशन में लापरवाही: हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर | बिलासपुर छत्तीसगढ़ राज्य में भ्रष्टाचार, लापरवाही और अनियमितताओं से जुड़ी कई गंभीर मामलों पर हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। इन मुद्दों में 18 करोड़ रुपए के सोलर स्ट्रीट लाइट घोटाले, सेना की जमीन पर अवैध खुदाई और शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की अधूरी योजनाएं शामिल हैं। विंटर वेकेशन के बावजूद, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की और इन मामलों को गंभीरता से लिया।

मुख्य मुद्दे:

  1. सोलर स्ट्रीट लाइट घोटाला:
    • बस्तर और सुकमा जिलों के 190 गांवों में बिना टेंडर के सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के मामले में 18 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया गया है। इस परियोजना को छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (CREDA) के नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना उचित प्रक्रिया के लागू किया गया। अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और महंगे दामों पर लाइट्स लगाने का आरोप है।
  2. सेना की जमीन पर अवैध खुदाई:
    • बिलासपुर में एयरपोर्ट के पास रक्षा मंत्रालय की 287 एकड़ जमीन पर अवैध मुरुम खनन की घटनाओं को लेकर कोर्ट ने गहरी चिंता जताई। रक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस अवैध खुदाई को रोकने की कोशिश की, लेकिन राज्य प्रशासन की लापरवाही के कारण यह काम जारी रहा। इस मामले में राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा गया है।

  1. जल जीवन मिशन में लापरवाही:
    • जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की योजना को लेकर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए। कई गांवों में अधिकारियों ने दावा किया कि पानी की आपूर्ति हो रही है, लेकिन जब वास्तविक स्थिति जांची गई तो पाया गया कि पाइपलाइन तक नहीं बिछाई गई और ओवरहेड टैंक का निर्माण भी अधूरा है। कोर्ट ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से इस परियोजना की वास्तविक स्थिति पर जवाब मांगा है।
  2. नगर निगम में अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति:
    • शहरों में कचरा डंपिंग और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम की योजना की स्थिति को लेकर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई। पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही पर भी सवाल उठाए गए और उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देने के निर्देश दिए गए।
  3. रेलवे संसाधनों का गलत उपयोग:
    • हाईकोर्ट ने रेलवे द्वारा ट्रेन की सीटों के गद्दों को नाले के स्लैब के रूप में इस्तेमाल करने पर सवाल उठाया। यह मामला रेलवे के संसाधनों के दुरुपयोग और लापरवाही को लेकर था। कोर्ट ने रेलवे के अधिकारियों से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 13 जनवरी को तय की।

कोर्ट के निर्देश:

हाईकोर्ट ने विभिन्न सरकारी विभागों और अधिकारियों को शपथ पत्र दाखिल करने और आरोपों पर विस्तृत जवाब देने के निर्देश दिए हैं। इन मामलों की अगली सुनवाई 8, 9 और 13 जनवरी 2024 को होगी।

यह कदम राज्य की सरकारी कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट की गंभीरता को दर्शाता है। कोर्ट का यह रुख यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का सही तरीके से उपयोग हो और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

 


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