UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। कलेक्टर गोपाल वर्मा के निर्देशन और जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद तिवारी के मार्गदर्शन में, जिला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास विभाग के मिशन वात्सल्य के तहत कवर्धा में बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास आनंद तिवारी ने बाल विवाह की समस्या पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा 10 मार्च 2024 को “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़“ अभियान का शुभारंभ किया गया। इस अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिले में लगातार जनजागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिनियम के अनुसार, ऐसा विवाह जिसमें वर की आयु 21 वर्ष से कम और वधू की आयु 18 वर्ष से कम हो, उसे बाल विवाह माना जाता है।
कार्यशाला के दौरान राठौर ने बाल विवाह को एक गंभीर सामाजिक कुप्रथा बताते हुए इसके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर सकारात्मक वातावरण तैयार करना होगा। उन्होंने बताया कि बाल विवाह बच्चों के अधिकारों और उनके सर्वांगीण विकास को प्रभावित करता है। यह समस्या न केवल उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। बाल विवाह को रोकने के लिए समाज, कानून और आर्थिक स्तर पर जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है।
कानूनी प्रावधान और दंड
कार्यशाला में बताया गया कि यदि कोई पुरुष, जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक है, 18 वर्ष से कम आयु की लड़की से विवाह करता है, तो उसे दो वर्ष तक का कठोर कारावास या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों दंडित किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, जो कोई व्यक्ति बाल विवाह करवाने या उसमें सहायता करता है, उसे भी समान दंड दिया जा सकता है।
अधिकारियों ने लिया बाल विवाह मुक्त समाज का संकल्प
कार्यशाला में चारों विकासखंडों के बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों ने अपने क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाने और इसे जड़ से समाप्त करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में कबीरधाम जिले के सभी बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी उपस्थित थे।