

भारतीय शेयर बाजार ने 2022 में शानदार रिटर्न दिया है। सेंसेक्स इस साल 63500 का सुप्रीम स्तर छूकर लौटा है। लेकिन एक महीने में शेयर बाजार के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। कमजोर वैश्विक इक्विटी के साथ भारतीय शेयर बाजारों में आज भारी गिरावट आई है। 1 दिसंबर को 63,583 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद सेंसेक्स से लगभग 2,000 अंक लुड्रैक टूट गया।
सूचनाओं के अनुसार नाजुक नीति को लेकर रिजर्व बैंक के सख्त रुख से भ्रम की धारणा प्रभावित हुई है। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दायरे में जा रहा व्याकुलता के बावजूद कुछ उच्च स्तर पर बने हुए सीमित के भरोसे हो रहा है। मार्केट रिसर्च के मुताबिक ग्लोबल मार्केट्स में बिकवाली का दौर यूएस फेड की आक्रामक नीति के चलते देखा जा रहा है।
भारतीय कर्मचारियों की मजबूती फंडामेंटल के बावजूद एकल प्रीमियम प्रीमियम को लेकर चिंतित हैं। जबकि परिमाण अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए एक नया डर है, निकट अवधि में उच्च ब्याज न्यूनतम एक प्रमुख चिंता है। वहीं, चीन में भी कोविड के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे कई लोगों के माथे पर बल पड़ रहा है। कई विशेषज्ञ 2023 में अवाक रहने की चेतावनी दे रहे हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका में सब कुछ को थामने की फेडरल रिजर्व की कोशिश देश को जमा के भंवर में न अटक दे।
दूसरी ओर चीन में कोरोना का खतरा बढ़ रहा है। चीन द्वारा ज़ीरो कोविड पॉलिसी के तहत अलग-अलग तरह के बन्धन दिए जाने के बाद कोविड के मामले और इससे संबंधित मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है। दुनिया के लिए नए खतरे का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में इक्विटी बाजार बहुत फंक फंक कर कदम रखें।
2023 के लिए अलर्ट जारी
धीमी अर्थव्यवस्था और घटती मुद्रा का अर्थ है कि फेड 2023 में दर में कमी को रोका जा सकता है। इस प्रवृत्ति की पुष्टि से नौकरीपेशा लोगों की स्थितियाँ जा सकती हैं। आर्थिक और बाजार संबंधी आशंकाएं हैं कि 2023 में भी भारत का बेहतर प्रदर्शन जारी रह सकता है। चूंकि मूल्यांकन अधिक है ऐसे में अगले साल को लेकर गोपनीयता को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि 2023 में इक्विटी के अलावा निश्चित आय संपत्ति और सोना अपने शोधन में जरूर रखें।



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