
UNITED NEWS OF ASIA. गौरेला। छत्तीसगढ़ के गौरेला के एक स्कूल की छत लकड़ी की बल्ली के सहारे टिकी हुई है। यह तस्वीर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए नजर आ रही है। जर्जर स्कूल भवन की छत से पानी टपकता है। कमरे में भी पानी भर जाता है। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। शौचालय भी जर्जर होने से अनुपयोगी हो चुका है। छत की प्लास्टर टूट कर फर्श में गिर रही है। जहां स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। कई बार यहां बच्चे घटना से बाल-बाल बचे हैं। हम बात कर रहे हैं गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले पटपरी छोटकीरेवार गांव के शासकीय प्राथमिक शाला की।
जिम्मेदार अधिकारी स्कूल की स्थिति और शिक्षा व्यवस्था को देखने अब तक नहीं पहुंचे। जबकि बैगा आदिवासी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाते हैं। फिर भी यह लोग शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 24 है। लेकिन स्कूल की हालत को देखकर परिजन अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को यहां की व्यवस्था सुधारने के लिए अवगत कराया गया, लेकिन आश्वासन के अलावा अब तक कुछ भी नहीं मिला।
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