UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। सरकारी अस्पतालों में इंसेंटिव यानी प्रोत्साहन राशि की बंदरबांट में डाक्टरों के साथ डेटा एंट्री ऑपरेटर भी शामिल हैं। ये धांधली मरीजों की ऑनलाइन पर्ची बनने के दौरान की जा रही है। जब कंप्यूटर में मरीजों के नाम और इलाज करने वाले स्टाफ के नामों की एंट्री की जाती है तभी डाक्टर का नाम बदल दिया जा रहा है।
इसके एवज में डेटा एंट्री ऑपरेटरों को भी कुछ हिस्सा दिया जा रहा है। इसलिए कुछ डेटा एंट्री आपरेटर स्पेशलिस्ट डाक्टरों से ज्यादा इंसेंटिव पा रहे हैं। इतना ही नहीं अपने करीबियों को इंसेंटिव के पैसे दिलाने के चक्कर में प्रभावशाली डाक्टर इलेक्ट्रिशियन को कागजों में स्वीपर बता रहे हैं। पूरे फर्जीवाड़े का दस्तावेजी प्रमाण भास्कर के पास उपलब्धा हैं। शहर से लगे सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की पड़ताल के दौरान अभनपुर अस्पताल के ऐसे मरीजों की पर्ची मिली, जिसमें डाक्टरों का नाम बदला गया है। क्योंकि इंसेंटिव के पैसे उन्हीं डाक्टरों को मिलते हैं जिनके नाम मरीज की पर्ची में हाेते हैं।
पर्ची में लिखे नाम से ही पता चलता है कि मरीज का इलाज किसने किया। इसकी तहकीकात में खुलासा हुआ कि पर्ची में नाम बदलकर उन डाक्टरों का नाम लिखा जा रहा है, जिन्हें एक साल में 10-10 लाख तक का इंसेंटिव मिल रहा है। ये खेल ऑपरेटरों ने किया है। नाम बदलने का खेल करने वाले ऑपरेटरों को इसका इनाम भी मिल रहा है।
अभनपुर अस्पताल में दो डेटा एंट्री ऑपरेटर हैं, एक डेटा एंट्री ऑपरेटर को एक साल में 50 हजार तक मिल रहा है, जबकि दूसरे ऑपरेटर को 6 हजार ही मिले हैं। यानी जिस तरह अभनपुर के अस्पताल में केवल तीन डाक्टरों को ही लाखों रुपए मिल रहे हैं वहीं निचले स्टाफ को भी इंसेंटिव दिलाने में धांधली की जा रही है। यही नहीं अस्पताल में पदस्थ एक इलेक्ट्रिशियन को स्वीपर बताकर उसे भी इंसेंटिव के पैसे दिलाए जा रहे हैं, क्योंकि इलेक्ट्रिशियन को इंसेंटिव देने का प्रावधान नहीं है।
अस्पताल में पोस्टिंग नहीं फिर भी बनाया आयुष्मान का नोडल, 4 लाख मिला इंसेंटिव
डा. शारदा साहू की पोस्टिंग खोरपा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में है। वहां से करीब 18 किलोमीटर दूर अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्हें अटैच किया गया है। वे सप्ताह में चार दिन ही इमरजेंसी ड्यूटी करते हैं। उसके बाद भी उन्हें अभनपुर अस्पताल में आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना का नोडल अफसर बना दिया गया है।
डा. साहू उन्हीं तीन डाक्टरों में हैं जिन्हें एक साल में लाखों इंसेंटिव मिल रहा है। डा. साहू ने पिछले 3 साल में 400 मरीजों का खोरपा अस्पताल में इलाज किया है, जबकि अभनपुर में सप्ताह में केवल चार दिन ड्यूटी करने के बावजूद उन्होंने 700 मरीजों का इलाज कर दिया। इसलिए उन्हें एक साल में करीब 4 लाख इंसेंटिव मिल गया। डा. साहू को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर का करीबी माना जाता है। इसी वजह से उन्हें आयुष्मान का नोडल बनाया गया है।
गड़बड़ी में डेटा एंट्री करने वालों की भूमिका, कई को डॉक्टरों से ज्यादा इंसेंटिव
स्वास्थ्य विभाग में ज्यादा सेटिंग, सबसे जूनियर फिर भी मेडिकल ऑफिसर
अभनपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डा. उमेश विश्वास की स्वास्थ्य विभाग में तगड़ी सेटिंग है। यही वजह है कि उन्हें ब्लॉक का मेडिकल ऑफिसर बनाया गया है, जबकि वे वहां सबसे जूनियर हैं। उनसे करीब 8 डाक्टर सीनियर हैं। पता चला है कि करीब 6 माह पहले उन्हें टीबी प्रोग्राम में लापरवाही के कारण हटा दिया गया था।
उस समय यहां पदस्थ सीनियर चिकित्सक डा. पी पटेल को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन उन्होंने वित्तीय प्रभार लेने से मना कर दिया। उस समय अस्पताल के एक अन्य सीनियर डाक्टर ने लिखकर दिया कि वे प्रभार लेने को तैयार हैं उसके बाद भी दोबारा डा. उमेश को ही मेडिकल ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंप दी गई।