UNITED NEWS OF ASIA. देवसरा। देवसरा ग्राम में हाल ही में दो वृद्ध व्यक्तियों की मृत्यु के मामलों को लेकर चर्चा हो रही है, जिन्हें मौसमी बीमारियों के कारण बताकर प्रस्तुत किया जा रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इन घटनाओं पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और इन मौतों को गलत तरीके से डायरिया से जोड़कर दिखाया जा रहा है।
पहला मामला : चमरू पिता घुराऊ (उम्र 82 वर्ष) का है, जो कि जिन्हें 25 जुलाई 2024 को दस्त की शिकायत के साथ स्वास्थ्य शिविर में लाया गया था। तत्काल प्राथमिक उपचार के बाद, यह दस्त उनकी बीमारी को और थोड़ा एक गंभीरता मे कील का काम किया और गंभीरता को देखते हुए 26 जुलाई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पंडरिया रेफर किया गया। इसके बाद, 28 जुलाई को उन्हें जिला अस्पताल रेफर करने की सलाह दी गई, लेकिन मरीज के परिजनों ने उनकी वृद्धावस्था को देखते हुए और इलाज कराने से इनकार कर दिया। परिजनों ने यह कहते हुए उन्हें घर ले जाने का फैसला किया कि ये कई महीनों से बीमार रहते है वे उनकी देखभाल घर पर ही करेंगे। फिर भी कर्मचारियों द्वारा फॉलोअप लिया जा रहा था अंततः, चमरू की मृत्यु 31 जुलाई 2024 को हो गई।
दूसरा मामला : धरम पिता कुंवर सिंह गोंड (उम्र 85 वर्ष) का है, जो पिछले दो वर्षों से लकवाग्रस्त थे और ग्राम में प्राइवेट प्रैक्टिशनर ओम प्रकाश श्याम (निवासी – लिंब्हीपुर) से इलाज करवा रहे थे। गलत उपचार के कारण उनकी स्थिति बिगड़ गई, और उनकी मृत्यु 23 जुलाई 2024 को हो गई।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इन घटनाओं पर स्पष्ट करते हुए कहा कि दोनों वृद्ध व्यक्तियों की मौतें उनकी दीर्घकालिक बीमारियों और वृद्धावस्था के कारण हुई हैं, न कि डायरिया के प्रकोप के चलते। विभाग ने यह भी कहा कि इन मौतों को गलत तरीके से डायरिया के मामलों के रूप में पेश किया जा रहा है, जबकि डायरिया के लक्षण आमतौर पर बार-बार ढीला या पानी जैसा मल होना, पेट में ऐंठन, पेट फूलना, और कभी-कभी बुखार और मितली होते हैं। ये लक्षण किसी बैक्टीरियल, वायरल, या परजीवी संक्रमण के कारण उत्पन्न होते हैं, जबकि देवसरा में हुई इन मौतों में ये लक्षण प्रमुख कारण नहीं थे।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई और सुविधाएं:
स्वास्थ्य विभाग ने ग्राम में मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए, सभी आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराया है।
1. स्वास्थ्य शिविर और प्राथमिक उपचार:
स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे मौसमी बीमारियों के शिविर के दौरान, मरीजों की पहचान कर उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया। गंभीर मामलों में मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में रेफर किया गया, जिससे उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।
2. मौसमी बीमारियों के लिए डोर-टू-डोर सर्वे:
01 अगस्त 2024 को स्वास्थ्य विभाग ने ग्राम में डोर-टू-डोर सर्वे अभियान चलाया, जिसमें कुल 11 मरीजों की पहचान की गई। इन मरीजों में 2 को बुखार, 2 को उल्टी, 6 को दस्त और 1 को उल्टी एवं दस्त की शिकायत पाई गई।इन घटनाओ में मास हिस्ट्रीया का भी बहुत बड़ा रोल होता है जिसमे बीमारी बढ़ती है। परन्तु सर्वें 25 से ही शरू कर दिया गया था,यह सर्वे इसलिए किया गया ताकि किसी भी संभावित बीमारी के प्रकोप को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
3. 24×7 स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती:
स्वास्थ्य विभाग ने मौसमी बीमारियों के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए, ग्राम में 24×7 ड्यूटी पर स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की है। ये स्वास्थ्य कर्मी लगातार ग्रामवासियों की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत मदद के लिए तैयार हैं।
4. जल स्रोतों की निगरानी:
विभाग ने ग्राम में उपलब्ध नल जल योजना के पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए भी कदम उठाए हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ग्रामवासियों को स्वच्छ और सुरक्षित पानी मिल सके, ताकि जलजनित बीमारियों का खतरा कम किया जा सके।
5. जनजागरण और सलाह:
स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामवासियों से अपील की है कि वे किसी भी स्वास्थ्य समस्या के मामले में तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों से संपर्क करें और अफवाहों पर ध्यान न दें। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की कोई कमी नहीं है और सभी आवश्यक दवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए, सभी आवश्यक कदम उठाए हैं ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके और भविष्य में इस प्रकार की किसी भी घटना से बचा जा सके। विभाग ने यह भी आश्वासन दिया है कि आगे भी स्वास्थ्य सेवाओं का उचित प्रबंधन और निगरानी जारी रहेगी।