छत्तीसगढ़राजनांदगांव 

Chhattisgarh : दिग्विजय कॉलेज में अब होगा नैनो फाइबर पर रिसर्च, पहुंची नई मशीन

UNITED NEWS OF ASIA.  राजनांदगांव ।प्रदेश के सबसे बड़े ऑटोनॉमस दिग्विजय कॉलेज के वनस्पति शास्त्र विभाग में अब नैनो फाइबर पर रिसर्च किया जाएगा। नैनो फाइबर पर रिसर्च में काम आने वाला इलेक्ट्रो स्पिनिंग उपकरण प्रदेश के किसी यूनिवर्सिटी और कॉलेज में नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य का यह पहला उपकरण है।

लगभग साढ़े सात लाख रुपए में कानपुर से उपकरण की खरीदी की गई। वहीं के इंजीनियरों ने दिग्विजय कॉलेज में इसे स्टाल किया है। इस उपकरण से नैनो फाइबर बनेगा और इस पर रिसर्च की जाएगी। नैनो फाइबर का चिकित्सा, पर्यावरण, उर्जा संरक्षण, बायो सेंसर तकनीक एवं कई अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।

दिग्विजय कॉलेज के वनस्पति शास्त्र विभाग में डॉ. केशव राम आडिल, सहायक प्राध्यापक को अनुसंधान राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) नई दिल्ली से एसयूआरई योजना के अंतर्गत प्रोजेक्ट मिला है।

इलेक्ट्रो स्पिनिंग उपकरण जिससे नैनो फाइबर बनाया जाता है, यह उपकरण दिग्विजय कॉलेज में स्थापित किया गया है। प्रोजेक्ट में डॉ. आडिल बायोमैटिरियल से नैनो फाइबर स्कैफोल्ड बनाएंगे, इसका उपयोग ऊतक अभियांत्रिकी में किया जाएगा। प्राचार्य डॉ. अंजना ठाकुर ने डॉ. केशव को रिसर्च में अच्छा काम करने प्रेरित किया। मशीन आने से कॉलेज के विद्यार्थियों को रिसर्च में आसानी होगी।

नैनो टेक्नोलॉजी व फाइबर रिसर्च से मिलेगा बढ़ावा डॉ. आडिल ने बताया इस मशीन के आने से नैनो टेक्नोलॉजी एवं नैनो फाइबर के रिसर्च को छत्तीसगढ़ राज्य में बढ़ावा मिलेगा। प्रध्यापक, विधार्थी नैनो फाइबर के क्षेत्र में रिसर्च कर पाएंगे।

नैनो फाइबर का उपयोग सर्जरी, नसों और हड्डियों को जोड़ने, नसों को ठीक करने में किया जाता है। उत्तक अभियांत्रिकी उत्तक बनाने की तकनीक का समूह है जिसका उद्देश्य मानव शरीर की मरम्मत करना है। इसका उपयोग पर्यावरण, बायो सेंसर तकनीक, ऊर्जा संरक्षण, एनर्जी स्टोरेज बैटरी, एंटीमाइक्रोबियल फैब्रिक, मास्क, ड्रग डिलीवरी में कर सकते हैं।

बायोएक्टिव उतक ग्राफ्ट के तौर पर डेवलप करेंगे डॉ. आडिल रिसर्च प्रोजेक्ट में तहत मानव बाल में प्रोटीन से नैनो फाइबर स्कैफोल्ड का निर्माण कर उसके रासायनिक गुणों का अध्ययन करेंगे।

भविष्य में बायो मटेरियल आधारित स्कैफोल्ट को इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों में स्मार्ट और बायोएक्टिव उत्तक ग्राफ्ट के रूप में विकसित करेंगे। स्कैफोल्ड प्राकृतिक बायो मटेरियल से बनेगा। यह मानव, जीव- जंतु एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होगा। प्रोजेक्ट की अवधि 3 वर्षों कि होगी। दिग्विजय कॉलेज को पहली बार इतना बड़ा रिसर्च प्रोजेक्ट मिला है।

 


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