कबीरधामछत्तीसगढ़

Kawardha : आम चुनाव बाद कांग्रेस संगठन मे बदलाव जल्द, शहर कांग्रेस की जिम्मेदारी किसके ऊपर जानिए

UNITED NEWS OF ASIA. जिले मे कांग्रेस पार्टी के दिन सही नहीं चल रहे है. विधानसभा चुनावों मे जिले की दोनों सीटें रिकॉर्ड वोटो से गवाने के बाद कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त थे तो वहीँ दूसरी तरह लोकसभा मे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चुनाव मैदान मे उतरने से कार्यकर्ताओं मे जोश उमडा था पर चुनाव के परिणाम देखकर फिर से कार्यकर्ता शांत हो चुके है. पिछले 5 वर्षो से कांग्रेस मे कुछ विशेष लोगों का बोल बाला था वो सारे लोग इस लोकसभा चुनाव मे नदारत दिखे, इसे यूँ कहे की अपना काम निकलने के बाद वो चलते बने.. अब कांग्रेस अपने बुरे दौर से गुजर रही है तो नेतृत्वकर्ताओं के लिए भी विचार विमर्श की आवश्यकता सामने आ रही है.

आज हम बात करते है प्रदेश के हाईलाइट सीट कवर्धा के जिला मुख्यालय कवर्धा शहर मे कांग्रेस की स्तिथि की

ऋषि शर्मा, मोहित माहेश्वरी ने नहीं बनाई कार्यकारणी
पिछले 5 वर्षो मे कवर्धा को 3 शहर अध्यक्ष मिले जिसमें ऋषि शर्मा विधानसभा चुनाव 2018 के समय कांग्रेस के अध्यक्ष बने और सरकार आने के बाद उन्हें नगर पालिका का अध्यक्ष बनाया गया पार उन्होंने अपने अध्यक्ष कार्यकाल मे कांग्रेस की कार्यकारणी कभी घोषित नहीं की.

वहीँ ऋषि शर्मा के नगर पालिका अध्यक्ष बनने के बाद पार्षद मोहित माहेश्वरी को शहर अध्यक्ष की कमान सौपी गयी लेकिन वो भी अपने कार्यकाल के दौरान नई कार्यकारणी घोषित नहीं कर पाए.
मोहित माहेश्वरी विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान प्रदेश सचिव के रूप मे प्रमोट हुए तो राजकुमार तिवारी को कार्यकारी शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी पर विधानसभा चुनाव मे हार मिलने के तत्काल बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया.

अगला शहर अध्यक्ष कौन?
कांग्रेस मे अगले शहर अध्यक्ष को लेकर अनेक नामों की चर्चा चल रही है. माना जा रहा की नए चेहरे पर कांग्रेस भरोसा कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक कवर्धा के वरिष्ठ कांग्रेसी राकेश तम्बोली,  वरिष्ठ कांग्रेसी पूर्व पार्षद संतोष नामदेव, युवा नेता विकाश केशरी का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है.. इसके अलावा पार्षद नरेंद्र देवांगन ,पूर्व युकां अध्यक्ष आकाश केशरवानी के नाम भी सामने आ रहे हैं.
संभावित है कि इन्ही मे किसी एक को शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी

संगठन जीरो एवं कार्यकर्ता निराश
विधानसभा चुनाव 2018 के बाद जिस तरह से कुछ विशेष लोगों द्वारा तत्कालीन मंत्री मोहम्मद अकबर की घेराबंदी की गयी उससे कवर्धा शहर समेत जिले भर के कार्यकर्ताओं मे रोष व्याप्त रहता था, मसलन कई बार सार्वजनिक स्तर पर इस बात को उठाया भी गया था पर आज जब कांग्रेस सत्ता से बाहर है तो कांग्रेस की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी ये बहुत महत्वपूर्ण है.

भूपेश बघेल के अप्रत्याशीत हार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं मे निराशा है, माना ये भी जा रहा है की जिला अध्यक्ष से लेकर प्रदेश तक मे बड़े बदलाव दिखेंगे..
मसलन अब देखना ये है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता सही व्यक्ति का चयन करते है या फिर पुनः गलती दोहराते हुए संगठन को मझधार मे छोड़ देते है…

 


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