
UNITED NEWS OF ASIA. कबीरधाम। जिले के दोनों शक्कर कारखाने ग्राम राम्हेपुर व पंडरिया से प्रेस मड के तौर पर निकलने वाले कचरे को अब किसान खाद के तौर पर उपयोग करेंगे। कारखाने से निकलने वाले प्रेस मड बायो कम्पोस्ट के रूप में काम आएगा। यह बायो कम्पोस्ट किसानों की खेती के लिए खाद की तरह उपयोग हो रहा है। ग्राम राम्हेपुर स्थित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के गन्ना विकास अधिकारी केके यादव ने बताया कि इस बार किसानों का रुझान प्रेस मड के प्रति बढ़ा है।
स्थिति ऐसी थी कि मात्र 7 दिन के भीतर प्रेस मड खत्म हो गयी। उन्होंने बताया कि प्रेस मड एक तरह से जैविक खाद की तरह काम करता है। इससे उत्पादन बढ़ता है। यहीं कारण है कि इस बार प्रेस मड खरीदी को लेकर किसानों में रुझान बढ़ गया। कारखाना द्वारा प्रेस मड खरीदी को लेकर रेट में तय किया गया था। प्रति ट्रैक्टर-ट्रॉली एक हजार रुपए व 200 रुपए लोडिंग रेट तय था। यह प्रेस मड केवल शक्कर कारखाना के शेयरधारी किसानों को दिया गया। यहीं नियम पंडरिया के सहकारी शक्कर कारखाना के लिए था। प्रेस मड खाद गन्ना पेराई के दौरान उसके अपशिष्ट पदार्थ से तैयार होता है। इनमें गन्ने में लगा मिट्टी व उसका छिलका समेत अन्य शामिल है।
गन्ना सर्वे शुरू, बढ़ेगा रकबा गन्ना का सर्वे शुरू हो गया है। इस वर्ष रकबा बढ़ेगा। क्योंकि, लगातार किसानों को गन्ना की खेती से फायदा हो रहा है। बीते साल पूरे जिले में 32 हजार हेक्टेयर में गन्ना की फसल ली गई थी। इस बार रकबा 35 हजार के आसपास जा सकता है, यानि तीन हजार हेक्टेयर ज्यादा रकबा में फसल ली जाएगी। हालांकि, शक्कर कारखाना द्वारा केवल शेयरधारी किसानों से ही गन्ना की खरीदी की जाती है। बिना शेयरधारी किसान अपने फसल को निजी गुड़ फैक्ट्री में बेचते है। बीते सीजन के अंतिम दौर यानि जनवरी से मार्च माह के बीच में निजी गुड़ फैक्ट्री में शक्कर कारखाना से ज्यादा रेट में गन्ना बिका है।
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