
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। लोहारा क्षेत्र में लंबे समय से झोलाछाप डाक्टर निजी क्लीनिक खोलकर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर इलाज कर रहे हैं। ऐसा नहीं है इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनके खिलाफ बीच बीच में कार्रवाही के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। झोलाछाप डाक्टरों के इलाज से कई मरीज काल के गाल में समा चुके है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग कुंभकरणीनींद में है।
जानकारी के अनुसार इन फर्जी दवाखानों में मरीज की जांच से लेकर दवाइयां, भर्ती करने के लिए बेड, आदि सब कुछ है। लेकिन डॉक्टरों के पास उचित डिग्री नही है। ऐसे में समझ सकते है कैसे इलाज होता है। क्षेत्र की जनता का स्वास्थ्य झोलाछाप डाक्टरों के हाथ में चला गया है बंगाली डाक्टरों ने गांवों में पांव पसार रखे हैं। एक मकान या दुकान किराए पर लेकर झोलाछाप डॉक्टर अपना दवाखाना खोलकर बैठ गए है। चिकित्सा विभाग व प्रशासन द्बारा महज इक्का-दुक्का कार्रवाई होने और ठोस कार्रवाई अमल में नहीं होने से झोलाछाप धड़ल्ले से जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है।
मनमानी रकम लेकर करते हैं इलाज
एमबीबीएस की तरह इलाज वैसे तो झोलाछाप डॉक्टर फोड़ा-फुंसी या सिर दर्द जैसी बीमारी का इलाज करने के लिए भी अधिकृत नहीं है। लेकिन गांव की ग्रामीणो को यह बड़ा डॉक्टर बताकर ठग रहे है और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह डॉक्टर मलेरिया, खांसी, सर्दी-जुकाम सहित कई बीमारियों का इलाज भी करते है। भोली भाली जनता से पैसा वसूलने के लिए यह डाक्टर मरीज को भर्ती करके ड्रिप चढ़ाने, इंजेक्शन लगाने सहित घायलों को पट्टी करने और कई बार टांके लगाने तक के काम कर लेते है।
लोहारा में बड़ी संख्या में झोलाछाप डॉक्टरों का व्यापार फल-फूल रहा है। बिना उचित डिग्री के कर रहे इलाज
कवर्धा एवं आसपास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में झोलाछाप डॉ भोले भाले ग्रामीणों का इलाज कर रहे है। कोरोना काल मे झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजो की संख्या बढ़ी और कई लोग अपनी जान गवां चुके है। बिना जांच पड़ताल के मरीजो के ऊपर नए नए प्रयोग इनके द्वारा किया जा रहा है।
सूत्रों से जानकारी मिली कि झोलाछाप डॉक्टर एवं स्वास्थ्य विभाग की सांठ-गांठ से झोलाछाप डॉ बेख़ौफ़ होकर उड़िया खुर्द में सड़क किनारे बड़े बड़े साइन बोर्ड लगाकर बैठे है।
जिला मुख्यालय से कोई भी बड़े अधिकारी क्षेत्र का दौरा करते है तो इसकी सूचना इनको पहले मिल जाती है और ये शटर बंद कर रफ़ूचक्कर हो जाते है। और अधिकारीओ के जाने के बाद फिर से इलाज शुरू कर देते है। अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डॉक्टरों पर कब ठोस कार्रवाई करता है की नहीं !
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