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प्रकृति की गोद में बसा एक सुंदर पर्यटन स्थल हो रहा प्रशासन की अवहेलना का शिकार, नहीं मिला पर्यटन का दर्जा

UNA गरियाबंद:- प्रकृति की गोद में बसा जिला मुख्यालय से 130 किलोमीटर दूर ग्राम गुढ़ियारी में स्थित कांदा डोंगर अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है. जो प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित है. इसी पर्वत श्रेणी के उच्च शिखर पर गुफा में चैरासीगढ़ की देवी माँ कुलेश्वरी का निवास है. वहीं पर देव शक्ति से उत्पन्न एक जलकुंड है. जहाँ का पानी कभी नहीं सूखता. क्षेत्रीय मान्यता के अनुसार यहाँ के अनेक ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाएँ प्रचलित है।माना जाता है कि त्रेतायुग में जब रावण नें सीता माता का हरण किया था. तब भगवान श्री राम और लक्ष्मण दोनों भाई सीता माता की खोज में कांदा डोंगरआये थे और यहाँ के गुफा में तपस्यारत ऋषि सरभंग से भेंटकर सीता माता के विषय में पूछकर यहाँ कुछ समय कंदमूल खाकर बिताया था. इसलिए आज भी उनके नाम का इस पर्वत में ऐसे कई गुफा हैं जैसे लक्ष्मण झूला, हनुमान झूला एवं सरभंग ऋषि का तपस्थली जोगीमठ के नाम से आज भी प्रख्यात है.जानकारों के अनुसार इसी मार्ग से भद्राचलम होते हुए भगवान श्री राम और लक्ष्मण लंका की ओर प्रस्थान किए थे. बताया जाता है कि जब श्री रामचन्द्र जी ने लंका विजय करके अयोध्या लौटे तो इसकी सूचना मिलते ही कांदाडोंगर में विराजमान देवी माँ कुलेश्वरी एवं चौरासीगाँव के ठाकुरदेव अपने-अपने ध्वज पताका के साथ यहाँ एकत्रित होकर यहाँ विजयादशमी पर्व को धूमधाम से मनाया था. तब से आज तक असत्य पर सत्य की जीत की ख़ुशी में प्रत्येक वर्ष कांदाडोंगर में क्षेत्रवासी धूमधाम से दशहरा पर्व को मनाते आ रहे हैं. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का भीड़ लगा रहता है.

 


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