
नमस्कार आज हम फिर हाजिर है ख़बरों के सटीक विश्लेषण के दौर में एक और खबर लेकर लेकिन आज के इस विश्लेषण के पूर्व रामायण काल में घटित एक घटना पर एक श्लोक को पढना जरुरी है ..
असम्भवं हेममृगस्य जन्म, तथापि रामो लुलुभे मृगाय, प्राय: समापन्न विपत्तिकाले धियोऽपि पुंसां मलिना भवन्ति ॥
सोने का हिरन होना असंभव है फिर भी श्री राम चन्द्र सुनहरे मृग पर ललचा गये किसी ने सच कहा है विनाशकाल आने पर आदमी की बुद्धि मंद हो जाती है
हाईलाइट्स
प्रवासी ओझा का बयान- संप्रदाय विशेष को सपोर्ट करने वाला विधायक है अकबर
लेकिन इन आरोपों के बीच भाजपा की नाकामी को कही रमन के मत्थे थोपने का तो नहीं है प्लान ?
मोदी “मुस्लिम मित्र वोटर्स” को रिझाने के प्लान पर जिला भाजपा के बयान से पानी फिरता आ रहा है नजर ?
अपनी सियासी रोटी सकने की चाह में एक बार फिर कहीं ??….. कवर्धा की जनता सावधान !!
UNITED NEWS OF ASIA. विधानसभा चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी सरगर्मी तेज होते दिखा रही है. पक्ष और विपक्ष अपने अपने तरह से लोगो को रिझाने का और एक दुसरे की कमियों को गिनाने में लगे हुए है. इस बीच छत्तीसगढ़ के सबसे हाई प्रोफाइल सीट कवर्धा में एक ओर सत्तादल वर्तमान विधायक और मंत्री का लगातार दौरा विकास कार्यों की सौगात देने का सिलसिला लगातार जारी है तो वही दूसरी ओर विपक्ष भी अपने अलग अलग कार्यक्रमों घेराव और बयानों से कवर्धा में सुर्ख़ियों में बनी हुयी है.
विपक्ष एक बार फिर चुनाव हारने की बौखलाहट में विगत दिनों उठाये गये कदम में मिटटी न डालकर वापस उसी मिटटी को खोदने में लगी है तो वही पक्ष अपने किये गये कार्यों से जनता के बीच जाने की तैयारी मे नजर आ रही है. अपने अपने खेमों में आवेदन का दौर दोनों दलों में जारी है तो हाई प्रोफाइल नेताओं के साथ बैठकों में मंथन के साथ मंथन के सफ़ेद रसगुल्ले परोस कर अपनी छबि को सफ़ेदपोस बताने की कवायद चल रही है.
बहर हाल दोनों दलों से अभी कवर्धा विधानसभा के प्रत्याशी को लेकर नाम सामने तो नहीं आये है लेकिन विपक्षी दल में बैठकों के दौर में शामिल एक प्रवासी खुद ही सत्तादल के मंत्री और विधायक को प्रवासी बताने और एक बार फिर कवर्धा में घटित अनहोनी को जोड़कर मिटटी खोदने में लगे हुए है. इस बीच रमन सिंह का नाम कैसे आया सहमती या असहमति से ये तो वे खुद ही स्पष्ट कर सकते है. लेकिन रमन के नाम से कम से कम विपक्षी दल में चल रही अंतर्कलह दल के खेमे में ही दबी हुई है.
इन सब के बीच में है कवर्धा की निर्णायक जनता. वो क्या फैसला लेगी वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तो जरुरु है की जनता के सामने अब एक महत्वपूर्ण चीज़ है चैन और अमन कायम रखना ?
आखिर में इन बातों से एक बात स्पष्ट हो रही है की सियासत की बिसात पर नेताओं की चाल तो पल पल बदलती ही है जैसे एक ओर मोदी, मिशन 2024 को लेकर मुस्लिम मित्र के तहत अल्पसंख्यक वोटर्स को जोड़ने में लगे है तो वही दूसरी ओर कवर्धा में उनके ही दल से कवर्धा को मैनेज कर रहे प्रवासी के बयान मोदी के मिशन को फेल करते नजर आ रहे है.
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वीडियो साभार : खबर योद्धा
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