
माँ बाप ध्यान दे-कहीं बच्चा तो नहीं कर रहा सूखा नशा
बड़ी घटना की आहट सुनिये
बचपना चढ़ रहा नशे की चपेट में, 3000 का गणित बिगाड़ रहा कवर्धा की शांत फिजा, नशे में बढ रही आपराधिक घटनाये
नमस्कार
एक सभ्य व्यक्ति ही सभ्य समाज का निर्माण करता है, ये हमनें हमेशा पढ़ा सुना है पर जिस तरह वर्तमान में कवर्धा शहर समेत जिले भर में नाबालिगों से लेकर के जवान-अधेड उम्र के लोगों को नशे के गिरफ्त में देखा जा रहा है उससे लगता है की सभ्य समाज की बात अब बस कल्पना मात्र रह गयी है।
14 साल के बच्चों के हाथों में किताबों की जगह सिगरेट गुटखा के पैकेट है बात यही नहीं रूकती…जिन कॉपी में गलती सुधारने वाइटनर का उपयोग किया जाता था अब वो वाइटनर नशे का सबसे आसान जरिया बन गया है।
आसानी से उपलब्ध होने वाला सूखा नशा आज भी जिम्मेदार विभागों की नजर से कोसो दूर है।
हम भारत के भविष्य की चिंता करते है और इसलिए हम कह रहे है की माँ बाप इस बात की पुस्टि जरूर कर ले की कही उनका बच्चा गलत संगति में जाकर सूखा नशा तो नहीं कर रहा।
आइये हम चलते है अपने विश्लेषण की तरफ, कुछ बिन्दुओ से जानते है नशे के बढ़े चलन और उससे होने वाले खतरे के बारे में
सूखा नशा करने वाले पहचानना मुश्किल
आमतौर पर शराब, गुटका, सिगरेट का नशा करने वालो को उनसे आने वाली बदबू से पहचान लिया जाता है पर सूखा नशा के रूप में उपयोग किये जाने वाले ड्रग्स, इंजेक्शन, सिलोशन ये सब गंधहीन होते है जो बहुत जल्दी नशे की लत में ले लेते है.
इस कारण इस तरह का नशा करने वालो को केवल उनकी हरकतों एवं हाथ में इंजेक्शन की निशानों से ही पहचाना जा सकता है।
जिम्मेदारों की नजर नहीं, खुलेआम बिक रहा
कवर्धा शहर समेत जिले भर के स्थानों में इस तरह का नशा करने वाले लोगों की संख्या में अप्रत्याशीत बढ़ोतरी हुई है.
एसी कमरों में बैठकर कार्यक्रम निपटा देने वाले जिम्मेदार विभागों का ध्यान इस ओर जाता भी नहीं। नशे के रूप में उपयोग की जानी वाली ये सामाग्री इंजेक्शन आसानी से कई मेडिकल दुकानों, स्टेशनरी में मिल जाता है.
बढ़ रही आपराधिक घटनाओं में इनका सीधा कनेक्शन
अध्ययन करने पर पता चलता है की आये दिन हो रही घटनाओं में जिनमे से कई मामले तो पुलिस तक पहुंच भी नहीं पाते उनमे इस तरह का नशा करने वालो की संलिप्त होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
अब सवाल ये होता है की शहर के हर गार्डन, सुनसान रास्ते,तालाब-नदी के किनारे बैठकर घंटो तक आराम से नशा करने वाले इन लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती???
क्यों कवर्धा शहर के लगभग सभी ढाबों में खुलेआम शराब सेवन कराया जा रहा?
आखिर क्यों ढाबों में, मेडिकल स्टोर्स में 3000 रूपये प्रतिमाह की चर्चा होती है, कौन है वो लोग जो इस तरह के काम में व्यस्त है?
सवाल बहुत है पर हम चाहते है की आने वाला भविष्य सही राहो में हो न की इस तरह के नशों में खुद को डूबाकर अपनी जिंदगी से हाथ धो ले।
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