UNITED NEWS OF ASIA. नमस्कार एक बार फिर हम हाजिर है खबरों पर हमारे सटीक विश्लेषण को लेकर । जैसे जैसे विधान सभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे है वैसे वैसे जिले की चुनावी दांव पेंज और चुनावी तापमान भी बढ़ने लगा है । आज हम बात करेंगे भारतीय जनता पार्टी की जिसमे जिला भाजपा की कमान पूर्व विधायक अशोक साहू को सौंपे जाने के बाद से राजनीति गलियारों में विधायक प्रत्याशी को लेकर जनता सहित पार्टी समर्थक अलग – अलग कयास लगा रहे है।
साठ हजार के वोट के गड्ढे को भरने के लिए किसी बड़े प्रतिद्वंदी का सामने होना आवश्यक है। ऐसे में ओल्ड इस गोल्ड की तर्ज़ पर डॉ सियाराम साहू का नाम निकलकर सामने आ रहा है। आपको बता दे कि श्री साहू न सिर्फ भा ज पा के पुराने नेता रहे है अपितु समजिक समीकरण के हिसाब से प्रदेश तेली समाज में गहरी पैठ रखते है। जीवन के 71 सावन देख चुके सियाराम साहू ने युवावस्था से ही भाजपा में राजनीति कर रहे है।
शांत स्वभाव कुशल नेतृव के बाद भी राजनीति में लोहा मनवाने वाले श्री साहू छेत्र से दो बार विधायक रह चुके है। जिन्हे राज्यमंत्री सहित केबिनेट मंत्री जैसे दायित्व भी पार्टी द्वारा सौंपा जा चुका है। सन् 78 में धर्मपुरा ग्राम से सरपंच निर्वाचित होने वाले सियाराम साहू की साफ छवि के नेता के रूप में भी अलग पहचान है। इधर सामाजिक समीकरण के हिसाब से तेली समाज में ना सिर्फ सियाराम साहू की पकड़ है अपितु श्री साहू अखिल भारतीय तेलीय साहू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारणी अध्यक्ष भी है। वर्ष 1993 व 2008 में क्षेत्र के विधायक के रूप में निर्वाचित होकर सामने आए। कार्यकाल के दौरान सेतु, रपटा, रोड सहित स्कूल के उन्नयन की दिशा में काफी काम किया।
डॉ रमन के करीबी है सियाराम –
रमन सरकार के एक पंचवर्षीय में क्षेत्रीय विधायक रहे सियाराम साहू न सिर्फ डॉ रमन सिंह के मित्र है बल्कि निर्वाचन दायरे से बाहर होने के बाद भी उन्हें अपने कार्यकाल में श्री सिंह ने ऊंचे दायित्व को सौंपा। इस दौरान सियाराम साहू पिछड़ा वर्ग के आयोग व कैबिनेट मंत्री रहे।
खैर अब देखना यह है की भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दे को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने अपना कर अपने साथ सियाराम का नाम तो जोड़ लिया वही भाजपा कवर्धा विधानसभा जैसे हाई प्रोफाइल सीट पर क्या एक बार फिर सियाराम पर भरोसा करती है ।