UNITED NEWS OF ASIA. नमस्कार आज हम अपने विश्लेषण के दूसरे अध्याय की तरफ बढ़ रहे हैं।
कवर्धा मे दिख रहे हालात और मचमच करती कांग्रेस संगठन मे बगावत देख ऐसा लगता है की मानो जनता बीजेपी को खुद से वोट देना चाह रही पर बीजेपी के नेता लेना नहीं चाह रहे.
बीजेपी पार्षदों ने नेता प्रतिपक्ष का सरेआम विरोध जता कारण बताकर पहले ही साफ कर दिया था की बीजेपी लीडरशिप कांग्रेस के नेताओं से सेटिंग मे चल रही है।
वर्तमान मे कवर्धा मे हो रहे अपराध और दूसरे गतिविधियों मे विपक्ष का यु चुप रहना मंत्री मोहम्मद अकबर के नेतृत्व को स्वीकारना तो नहीं । कभी कभार एक दो छोटे कार्यक्रम करवा कर कुछ नेता अपनी राजनीती भी जिंदा रख रहे।
हिंदुत्व के मुद्दे पर कवर्धा की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी थी जिस तरह से हजारों लोगो ने भगवा हाथ मे लेकर ताकत दिखाई थी लगा था मानो कुछ बड़े राजनितिक बदलाव सामने आएंगे । पर समय होते होते बीजेपी का रंग कांग्रेस के तीन रंगों मे ही रंग गया।
आम चर्चा मे जिले के बड़े पदाधिकारियों समेत बीजेपी से निर्वाचित लोगों की कांग्रेस नेता के प्रति तटस्थता जगजाहिर है।अपने लोगो को छोड़ बीजेपी नेताओं को प्राथमिकता देने के मामले मे पहले ही मोहम्मद अकबर के खिलाफ कार्यकर्ता धीरे धीरे मुँह खोल रहे है।
ऐसे मे बीजेपी नेताओं की सेटिंग देखकर ये साफ दिख रहा की आने वाले समय मे बीजेपी सिर्फ सेटिंग पार्टी बनकर रह जाएगी और उनके सेटिंगबाज नेता पार्टी की सरेआम नीलामी कर जायेंगे।
खबरों का दौर और सटीक विश्लेषण जारी है …