कबीरधामकिस्सा कुर्सी काछत्तीसगढ़

UNA तीसरी आंख : कवर्धा में भाजपामय हुआ कांग्रेस..हमें निष्ठावान से मतलब नहीं..कांग्रेस मे संगठन जीरो..मुँह मे मीठा लेकर चल रहे नेता

UNITED NEWS OF ASIA. समय 2018 का था… चुनाव सर पर थे । 15 साल से सत्ता में काबिज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का का गृहजिला और कांग्रेस से बाहरी प्रत्याशी का तमगा । तब कवर्धा के कुछ युवाओं ने जिम्मा सम्हाला, अपने ऊपर सैकड़ो मामले दर्ज होने पर भी अकबर भाई जिंदाबाद के नारे लगाए। पर अब समय बदल गया । भाजपा के लोग कांग्रेस के कर्ता धर्ता हो गए और कवर्धा का विधानसभा भाजपामय हो गया।

मामला कल होने वाले विधानसभा स्तरीय प्रशिक्षण का है
सूची हमें प्राप्त हुई है। जिन लोगो के ऊपर 2018 चुनाव का दारोमदार था। वो अब सूची से बाहर है।

करोड़ो के हेराफिरी करके कांग्रेस चला रहे बीजेपी के पूर्व नेता अब कांग्रेस के सूची मे है पर वो लोग बाहर है जिनके दम मे मो अकबर कवर्धा मे स्थापित हुए। UNA उन सब की गहन चिंता करता है । खैर मामला जो कुछ भी हो लिखना हमारा काम है । आगे विधानसभा चुनाव है । इतिहास अपने आपको हमेशा दोहराता है ।

सन 1993… में पराजय … सन 2003.. में पराजय…2013 में पराजय और अब है 2023 का विधानसभा .. 3 के आंकड़ों ने नींद उड़ा रखी है या सच में विधानसभा के प्रथम नागरिक होने का कर्तव्य निभा कर लोगों की समस्या दूर कर रहे है खैर जो भी हो अपने लोगो पर भरोसा तो नहीं रहा स्पष्ट है।

बात ठेले दुकानों मे चालू हो गयी है
आने दो चुनाव फिर बताते है
पद मे है तो दुआ सलाम होता रहेगा । अब भी समय है जनाब ..लिस्ट देखिए और हाईलाइटर लेके मार्क करिए..

आपको बता दे की चुनाव मे ताबड़तोड़ जीत हासिल करने वाले मोहम्मद अकबर के कवर्धा विधायक बनने के बाद बीजेपी के नेता जो जैसे विजय पाण्डेय, अशोक सिंह समेत अनेको ने कांग्रेस प्रवेश किया था।

इसके अलावा नगर पालिका समेत जनपद के बीजेपी नेताओं के ऊपर भी कांग्रेस समर्पित होने का आरोप अब सामान्य हो गया है
अब देखना लाजमी है की झंडा कांड के बाद परिवर्तन की बात करने वाले धर्मनगरी कवर्धा मे कांग्रेस के धाकड़ नेताओं को नजरअंदाज करना कितना भारी पड़ता है।

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