एक दौर था जब परिवार के सभी सदस्यों ने एक साथ बातें कीं। एक दूसरे की बातें सुनीं और समझायीं। मगर अब डिजिटल वर्ल्ड में किसी व्यक्ति के पास दूसरे के लिए वक्त नहीं है। असल में, डिजिटलाइजेशन के इस युग में परिवार में आज भी सभी सदस्य एक साथ जरूर हैं। मगर सभी अपने मोबाइल में एजेंज नजर आते हैं। ऑफिस में बॉस भी डायरेक्ट बात करने की जगह सोशल मीडिया को प्राथमिकता देते हैं। स्कूल में टीचर भी वेब साइट्स में कन्फर्ट फील करने लगते हैं। हर व्यक्ति डिजिटल दुनिया के जाल में घिरा हुआ सा दिखता है। ये धीरे-धीरे लोगों में तनाव का कारण भी बन रहा है। जानिए डिजिटल स्ट्रेस को कंट्रोल करने के कुछ उपाय (डिजिटल तनाव से कैसे बचें)।।
इसमें हेल्थशॉट्स से बातचीत करते हुए सर गंगाराम अस्पताल में साइकोलॉजिकल सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर आरती आनंद का कहना है कि वे लोग जो मेडिकल मोबाइल और पीसी में बिजी रहते हैं, उनका सोशल ग्रुप धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। इसके अलावा बात-बात पर झुंझलाहट और गुस्सा करना उनके लिए सामान्य बात है।
डॉक्टर आरती आनंद के अनुसार डिजिटल स्ट्रेस की समस्या को हल करने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल कम करें। डिजिटल साइटों की जगह अखबारों का उपयोग करने के लिए खबरे जब्त करें। इनका कहना है कि कंप्यूटर से बायपास वाली ब्लू लाइट आंखों के लिए नुकसानदायक साबित होती है। ऐसे में कुछ वक्त प्रकृति के मौलिक तत्व, इसलिए आंखों को आश्चर्यजनक प्रभाव मिल सके।
डिजिटल तनाव से अब ये बेंचमार्क आपका आरक्षण
1 लोगों से मिलकर करें बातचीत
डिजिटल स्ट्रेस को कंट्रोल करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप एक-दूसरे से मिलें और वीडियो कॉल या मीटिंग की जगह पर फेसबुक पर बात करें। एक साथ चालें और मन की बातें की पेशकश करें। कोई दोराय नहीं है कि डिजिटल वर्ल्ड में हम एक दूसरे के अहम किरदार में सहायक साबित हुए हैं। इसके बहुत से फायदे भी हैं। मगर कुपोषण से अधिकतर इसका उपयोग करने से व्यक्ति तनौव की स्थिति महसूस होती है। वो खुद को अकेला और अमीर पाता है। इसके अलावा आपके स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है।
2 एक्टिविटीज़ को अपनाएं
रिज़र्व लैपटॉप या मोबाइल पर उंगलियां को चलाने के अलावा कुछ वॉकर घर से बाहर निकलें और सक्रिय सक्रियता में हिस्सा लें। साइकिल चलाना, सैर करना और घूमना। इसी मेंटल हेल्थ इंट्रेस्टेंशियल दिखता है। लोगों के अंदर खुशी पैदा हो रही है। खुद को खुला और खुशहाल महसूस करते हैं। इसके अलावा आपके तन और मन में संतुलन बनाए रखने के लिए 30 मिनट का योगाभ्यास भी किया गया है। इसकी मदद से आप अपनी इंद्रियों को नियंत्रित कर सकते हैं।
3 ब्लॉकिंग स्क्रीन मास्टर्स का प्रयोग
देर रात तक स्क्रीन पर बैठने से आंखों के कपड़े पर उसका प्रभाव पड़ता है। इससे न सिर्फ अकेले कमजोर होते हैं बल्कि नींद की समस्या भी बढ़ती नजर आती है। लंबे समय तक खुद को मोबाइल में एजेन्ज रिटेन से स्लीप डिस्टर्ब पता है। इससे बचने के लिए फिल्टर, ब्लू लाइट फिल्टर और ब्लॉकिंग स्क्रीन चार्जर्स का इस्तेमाल करें। डिजिटल लार्ज के दौर में स्क्रीन समय को सीमित करें। ज्यादातर देर तक स्क्रीन को देखने से उत्पन्न तनाव होना शुरू हो जाता है। इसका असर हमारे व्यवहार और स्वास्थ्य दोनों पर ही दिखता है।
4 नोटिफ़िकेशन को सीमित करें
रिज़र्व पिंग होने वाली नोटिफ़िकेशन्स पर रेंकवेंशन। बार बार मेल और मैसेज के लिए बजने वाले फोन सीमित करें। डिजिटल स्ट्रेस से दूरी बनाने के लिए मोबाइल का उपयोग कम करें। इसके अलावा बेनामी के अलावा बार-बार आने वाले मेल और मैसेज की नोटिफिकेशंस को म्यूट पर रखें। दरअसल, काम के दौरान फोन बजने से तनाव बढ़ने लगता है।
5 डिजिटल डिटॉक्स है पाया
रिज़ॉर्ट फ़ोन में मसरूफ़ रहन-सहन की जगह एनवायरमेंट का आश्रम। फिर से घूमने के लिए निकल और कुछ सीमित लोगों को अन्य लोगों के लिए फोन बंद कर देना चाहिए। बार-बार फोन चेक करने से सलाह। रील वर्ल्ड से रियल वर्ल्ड में एंटर करें। चिड़ियों की चाहत से लेकर हवा की छुअन को महसूस करें। डिजिटल डिटॉक्स सेटल हेल्थ बूस्ट होता है। साथ ही आप कुछ समय खुद के साथ बिताते हैं।
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