
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने बृहस्पतिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्ण सत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (2015-2030) के लिए सेंदाई कार्य योजना की मध्यावधि समीक्षा के एक सत्र में कहा कि भारत में आपदा जोखिम में कमी एक ‘सार्वजनिक’ नीति का मध्य’ है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया है कि वह विभिन्न दांतों से होने वाला नुकसान कम करने के मुद्दों को काफी अहमियत देता है और बाढ़, झिझक, लू और बिजली सहित सभी ठोकर से होने वाली जान-माल की हानि के कारण होते हैं अवसरवादी योजना कार्यक्रम विकसित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने बृहस्पतिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्ण सत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (2015-2030) के लिए सेंदाई कार्य योजना की मध्यावधि समीक्षा के एक सत्र में कहा कि भारत में आपदा जोखिम में कमी एक ‘सार्वजनिक’ नीति का मध्य’ है।
मिश्रा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 18-19 मई को इस उच्च-स्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत सदस्य देश ‘आपदा जोखिम में कमी के लिए एक कार्य समूह’ का गठन करने पर सहमत हैं। मिश्रा ने कहा, “जी20 कार्य समूह द्वारा जिन पांच समझौतों की पहचान की गई है, उनमें से सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनियां, लचीलेपन की सीमाएं, आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डी आर आर) के लिए बेहतर समायोजन, प्रतिक्रिया के लिए प्रणाली एवं क्षमता में सुधार और डीआरआर इको-सिस्टम आधारित दृष्टिकोण शामिल है।
ये प्राथमिकताएं वैश्विक स्तर पर सेंदाई कार्य योजना से जुड़ी लक्ष्यों की प्राप्ति में अतिरिक्त सहायता प्रदान करती हैं। उन्होंने संरा महासभा को बताया कि भारत ने आपदा जोखिम में कमी के लिए निर्धारित चयन में काफी वृद्धि की है और आपदा जोखिम प्रबंधन से संबंधित परिदृश्य (आपदा जोखिम न्यूनीकरण, तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण) का समर्थन करने के लिए अपने समूह में शामिल हों महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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